आज ही के दिन कश्मीर ने तय किया था भारत के साथ जीना

26 अक्टूबर को ही कश्मीर के राजा हरिसिंह ने 'इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन' पर हस्ताक्षर किये थे।

आज ही के दिन जम्‍मू कश्‍मीर के महाराजा हरिसिंह ने राज्‍य के भारत में विलय के लिए एक कानूनी दस्‍तावेज को साइन किया था। इस दस्‍तावेज को ‘इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन’ कहा गया, जिस पर हस्ताक्षर करते ही कश्मीर अधिकारिक तौर पर भारत का हिस्सा बन गया।

बहुत से लोगों का कश्मीर के राजा हरिसिंह पर आरोप है कि वह एक हिन्दू राजा थे और वह पाकिस्तान के साथ इसलिए नहीं जाना चाहते थे क्योकि पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र था। मगर सच्चाई यह है कि जैसे ही पाकिस्तान बना तो वहां के कुछ कट्टरवादी लोगो ने कश्मीर के अंदर गैर-मुस्लिमो की हत्या करनी शुरू कर दी, जिससे दुखी होकर महाराज हरिसिंह ने उनसे निपटने के लिए भारत से मदद मांगी और हरिसिंह ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के कहने पर ‘इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन’ पर हस्तास्क्षर कर दिए।

ब्रिटिश राजनयिक माउंटबेटन ने लिखा था कि उनकी सरकार चाहती है कि जैसे ही राज्‍य से घुसपैठियों को हटाया जाए तो राज्य के अंदर जनमतसंग्रह हो। तब एक जनमत संग्रह पर राजीनामा हुआ जिसमें कश्‍मीर के भविष्‍य का फैसला होना था। आज इसी जनमत संग्रह ने भारत और पाकिस्‍तान के बीच विवाद पैदा कर दिया है। भारत का कहना है कि विलय बिना किसी शर्त पर हुआ था और अंतिम था। वहीं पाक इस विलय को धोखा करार देता है।