नई दिल्ली: 2019 चुनावो में भाजपा को मिली जबरदस्त जीत के बाद वोट पैटर्न का विश्लेषण आज हम आपके सामने ला रहे है। चलिए जानते है और उनकी दुविधा भी कम करते है जो जाति के नाम पर पार्टिया आज कल ट्वीटर पर ज्ञान दे रही है।
बिहार में जीरो सीट पर सिमट चुकी RJD अब भी सुधरने को तैयार नहीं दिख रही है तो वही उनके नेता मनोज झा पार्टी को खुश रखने के लिए कुछ नहीं तो रीट्वीट ही करते रहते है।
सवर्णो के वोट न देने से बिलबिलाई RJD पूछ रही है आखिर दलित और मुस्लिम के वोटिंग पैटर्न पर बात करने वाले सवर्णो के पैटर्न पर बात क्यों नहीं की जाती जो आज भी समाज के पिछडो का शोषण करते है।
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तो चलिए आज हम आपको पैटर्न और कारण दोनों बता देते है जिससे तथाकथित लिबरल्स को थोड़ा चैन पड़ जाये। देश के सबसे बड़े सर्वे अनुसन्धान Lokniti-CSDS केंद्र के अनुसार जातीय समीकरण का एक साफ़ साफ़ डाटा हम आपको बताते है जो आपको खुद बता देगा सवर्णो का वोटिंग पैटर्न क्या है और असल में ऐसा क्यों है।
सर्वे के डाटा के अनुसार सबसे अधिक लोकसभा सीट देने वाले प्रदेश उत्तर प्रदेश में एक तरफ़ा वोट उच्च जाति ने भाजपा के पाले में डाला है। आंकड़ों की माने तो करीब 82 प्रतिशत ब्राह्मणो, 89 प्रतिशत ठाकुरो और 70 प्रतिशत वैश्य ने सीधे सीधे बीजेपी को वोट दिया है।
आखिर भाजपा को इतना बड़ा जनाधार सवर्णो का क्यों प्राप्त हुआ जिसको अन्य पार्टिया इन्हे लुभाने में विफल रही थी।
इस पर हमने बात जातिगत नीतियों के खिलाफ लड़ रही संस्था युथ फॉर इक्वलिटी से जुड़े भारत मीणा से की जिन्होंने हमें बताया कि मंडल कमंडल व हर छोर पर बार बार शोषणकर्ता का टैग चस्पा कर दिए जाने से परेशान सवर्ण को लगता है इनका वजूद सिर्फ भाजपा के साथ ही सुरक्षित है।
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वही सभी पार्टिया चाहे वह कांग्रेस हो, बसपा हो, सपा हो, RJD हो यह सभी मिलकर सवर्णो को याद दिलाती रहती है कि आप ही शोषणकर्ता हो, आप समाज को बाँट रहे है जिसके कारण सवर्णो ने बीजेपी का दामन थामा जो हमें चुनावो के नतीजे में दिखा।
वही अगर बिहार की बात की जाये तो कुल 73 प्रतिशत सवर्णो ने भाजपा का बटन दाबा जिसके कारण बिहार में RJD को शून्य से संतोष करना पड़ा। पुरे देश में बीजेपी के पक्ष में 61 फीसदी सवर्णो ने वोट दिया जो अपने आप में यह दर्शाता है की भाजपा ही इस समय सवर्णो की पसंद बनी हुई है।