जम्मू कश्मीर : 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की दर्द भरी दास्ताँ को कवि नें अपनी जुबानी सुनाई है।
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद कवि कुमार विश्वास का इंडिया टुडे को दिया एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। दरअसल उस इंटरव्यू में देश के मशहूर कवि कुमार विश्वास ने कश्मीरी पंडितों का दर्द साझा किया था।
उन्होंने धारा 370 की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा था कि “कुछ बुद्धिजीवी कहते हैं साहब कश्मीर में इंटरनेट कट गया। भैया, कुछ घंटों के लिए संपर्क कटा है, विस्थापितों की तरह उनका जीवन नहीं।”
इसके बाद आगे कुमार विश्वास नें अपने पड़ोस में रहने वाले अपने ही देश में विस्थापित हुए कश्मीरी पंडित दर्द भरी दास्तां सुनाई। जिसको रातों रात बसे बसाए घरबार को छोड़कर विस्थापित देश के दूसरे जगह शरण लेना पड़ा था।
कुमार नें कश्मीरी पंडित की उन दर्द भरी रातों के बारे में बताते हुए कहा “हमारे पड़ोस में रहते लिट्टू साहब, 1 घंटे के लिए मिलने आते हैं आधे घंटे में आंसू आ जाते हैं। बताते हैं, बहुत बड़ा घर था 1000 मीटर का, घोड़ा था मेरे पास, रोने लगते हैं।”
इसके बाद कुमार उन कश्मीरी पंडितों की सुध लेने की बात करते हुए कहते हैं “उन कश्मीरी पंडितों से कौन पूछेगा उनका तो सब कट गया है भाई ! आपका तो संपर्क कटा है, 24 घंटे बाद 48 घंटे के बाद संपर्क ठीक हो जाएगा। इसमें क्या रोना पीटना है इसमें कौन सी बड़ी बात है !”
आगे कुमार विश्वास ने कश्मीर में इंटरनेट पर पत्रकारों की प्रतिक्रियाओं का जवाब देते हुए कहा “एक पत्रकार लिख रही थीं कि मैंने एक गुड्डा खरीदा था अपने भतीजे के लिए मैं ईद पर गुड्डा कैसे देने पहुंच पाऊंगी। मैंने कहा वह ईद पर गुड्डा नहीं पहुंचा तो लोकतंत्र संविधान मर्यादा भारत सब खत्म हो गया।”
अंत में कुमार नें कश्मीरी पंडितों की उन रातों के भयानक दर्द को सुनाया जब उनसे उनके ही बहन बेटियों को छोड़ने के लिए कहा गया था। कुमार विश्वास बताते हैं “वो जो लाखों कश्मीरी पंडित रातों-रात जिनसे कहा गया कि अपनी बहन बेटियों को छोड़कर निकल जाओ और रातों-रात वो निकल आए।