बिहार(पटना) : गरीब सवर्णो को आर्थिक आधार पर दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण से जहा इसे ठीक चुनाव से पहले मोदी सरकार की चुनावी कला मंडी के तौर पर देखा जा रहा है तो दूसरी ओर विरोधी इसे अपने पाले में भुनाने का प्रयास कर रहे है। देश में तेजी से बढ़ रहे आरक्षण से जहाँ विदेशी मीडिया भारत में मेरिट की कम होती सीटें और आरक्षण को नए भारत की परिभाषा समझ लेने पर सन्न दिखाई पड़ रहा है।
इसके इतर इंद्रा साहिनी केस में सुप्रीम कोर्ट ने मेरिट को ध्यान में रखते हुए आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से आगे न बढ़ाने के सख्त निर्देश दिए थे जिसकी परंपरा आज वोट बैंक की राजनीती के चलते टूट गई है जिससे मेरिट पंडितो में यह डर बैठ गया है की कही धीरे धीरे नेता अपने फायदे के लिए हर पांच वर्षो में आरक्षण का पासा न फेंक दे ।
आरक्षण की सीलिंग लिमिट टूटे हुए अभी ठीक से एक महीना भी नहीं बीता था की दलित व ओबीसी नेता 90 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कहने लगे है।
बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी दल आरजेडी व लालू पुत्र तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर 90 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत कर डाली। उन्होंने लिखा “बेरोज़गारी हटाओ, आरक्षण बढ़ाओ”
अब आर-पार लड़ाई होगी। निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करना होगा। आरक्षण बढ़ाकर 90% करना होगा, करना होगा।
“बेरोज़गारी हटाओ, आरक्षण बढ़ाओ”
अब आर-पार लड़ाई होगी। निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करना होगा। आरक्षण बढ़ाकर 90% करना होगा, करना होगा।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 24, 2019
इसके साथ ही दूसरे ही ट्वीट में उन्होंने आरक्षण विरोधियो को अपनी लिपि में टैग करते हुए लिखा “आरक्षण विरोधी पहले मेरिट-मेरिट चिल्लाते थे आरक्षण को भीख कहते थे।अब बहुत ख़ुश है। ये दोहरापंथी नहीं चलेगी।या तो आप ये मानिए कि आप जातिवादी है और योग्य व प्रतिभाशाली दलित-पिछड़ो की हक़मारी मे लगे है या फिर ये मानिए की आप सामाजिक श्रेष्ठता के आधार पर आरक्षण के सबसे बड़े अधिकारी है।”
आरक्षण विरोधी पहले मेरिट-मेरिट चिल्लाते थे आरक्षण को भीख कहते थे।अब बहुत ख़ुश है। ये दोहरापंथी नहीं चलेगी।या तो आप ये मानिए कि आप जातिवादी है और योग्य व प्रतिभाशाली दलित-पिछड़ो की हक़मारी मे लगे है या फिर ये मानिए की आप सामाजिक श्रेष्ठता के आधार पर आरक्षण के सबसे बड़े अधिकारी है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 24, 2019
आपको बता दे कि इससे पहले मायावती, अखिलेश यादव, नितीश कुमार व भाजपा के बिहारी उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी एससी एसटी व ओबीसी के आरक्षण को बढ़ाने कि वकालत कर चुके है।
देश में रोजगार, मुफ्त शिक्षा, भ्रष्टाचार व अर्थव्यवस्था कि बात होने के बजाय आज भी भारत में आरक्षण व जातिगत नीतियों से नेता देश को डुबोने का कार्य कर रहे है।
70 साल भी आज जातिया खुद को पिछड़ा घोषित करने में लगी है वही दूसरी ओरवही दुनिया भर में आगे जाने कि होड़ लगी है
जिस आरक्षण को धीरे धीरे ख़त्म करना चाहिए था वह आज नौकरी पाने का पैमाना बन चूका है इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि अगर यूँ ही आरक्षण आगे बढ़ता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब देश का सर्वश्रेष्ठ दिमाग देश से पलायन कर जायेगा और हम इसी तरह मुँह ताकते रह जायेंगे।