छत्तीसगढ़(रायपुर) : लगतार सर चढ़ कर हो रहे एससी एसटी एक्ट के फर्जी उपयोग के कारण ही सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट में कुछ बदलाव किये थे जिसको की बाद में दलित संगठनों के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने पलट दिया था।
उसी कड़ी में एक खबर छत्तीसगढ़ से देखने को मिल रही है जहा एक युवती ने अपने पूर्व प्रेमी पर एससी एसटी एक्ट और रेप का मामला दर्ज कराया था।युवती का कहना था की युवक ने शादी का झांसा देकर शारीरिक सम्बन्ध बनाये फिर शादी के अपने वादे से वह मुकर गया, जिस पर पहले युवती द्वारा रेप का मामला दर्ज कराया गया साथ ही बाद में एससी एसटी एक्ट भी थोप दिया गया।
फर्जी एससी एसटी एक्ट के खिलाफ युवक ने सर्वप्रथम ट्रायल कोर्ट में अर्जी डाली थी जिसे कोर्ट द्वारा ख़ारिज कर दिया गया था जिसके बाद युवक हाई कोर्ट पहुंचा जहा उसकी अपील ख़ारिज कर दी गई।
एससी एसटी एक्ट की मार खाये युवक ने थक हार के सर्वोच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया था, मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने युवक को रिहा कर दिया।
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युवक ने अपने अपनी दलील में कहा की उसे युवती के अनुसूचित जाति के होने की कोई खबर थी ही नहीं और जिसे युवती द्वारा सिद्ध भी नहीं किया जा सका था।
एससी एसटी व रेप के झूठे आरोप में लिप्त कर दिए इस युवक की आँखों से दर्द मानो जरोखे मार रहा था। मालूम हो की एमपी बार एसोसिएशन द्वारा जारी किये गए सर्वे में बताया गया था प्रदेश में एससी एसटी एक्ट के 75 फीसदी मामले कोर्ट द्वारा फर्जी पाए गए थे।
लगातार हो रहे दुरूपयोग पर सिर्फ सरकार आश्वासन की फफूंदी जमाती चली आ रही है परन्तु परिणाम हर बार की तरह शून्य बटा सन्नाटा ही रह जाता है।