शिवसेना की बड़ी माँग: भारत में भी बैन हो बुर्का, ये इस्लाम नहीं अरब की है व्यवस्था

NDA की घटक शिवसेना नें मुखपत्र 'सामना' के लेख 'रावण की लंका में हुआ, राम की अयोध्या में कब होगा?' द्वारा मोदी सरकार से बुर्का व नकाब बंदी करने की माँग की, मुस्लिम देश तुर्किस्तान समेत आस्ट्रेलिया, फ़्रांस, ब्रिटेन का दिया गया संदर्भ

महाराष्ट्र : BJP की सहयोगी शिवसेना नें भारत में भी बुर्का व नक़ाब सहित चेहरा ढँकने वाली चीजों पर बैन लगाने की माँग की है |

दरअसल श्री लंका के चर्चों में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद वहाँ के राष्ट्रपति नें पूरे देश में बुर्का-नक़ाब सहित सभी चेहरा ढंकने वाली चीज़ों पर प्रतिबन्ध लगाने की घोषणा की थी | उसके कुछ ही दिनों बाद भारत में भी इसकी चर्चा अचानक से उछल गयी है | क्योंकि भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना नें भारत में भी ऐसे प्रतिबंधों की माँग की है |

आपको बता दें कि हर पार्टी का अपना मुखपत्र/माउथपीस होता है जिसके द्वारा पार्टियां व उसके नेता अपने विचार, माँग व एजेंडा सबके सामने रखते हैं उसी तरह शिवसेना का भी उनका मुखपत्र है “सामना” | सामना में लिखे एक लेख “रावण की लंका में हुआ, राम की अयोध्या में कब होगा?” में शिवसेना नें PM मोदी से माँग की है कि “प्रधानमंत्री मोदी को भी श्री लंका के राष्ट्रपति के कदमों में पर कदम रखते हुए हिंदुस्तान में भी ‘बुर्का’ और उसी तरह ‘नक़ाब’ बंदी करें, ऐसी माँग राष्ट्रहित के लिए कर रहे हैं |”

इसके बाद शिवसेना नें उन देशों का भी उदाहरण जहाँ आतंकी हमलों के बाद ऐसे कदम उठाए जा चुके हैं | लिखा कि “फ़्रांस में भी आतंकवादी हमला होते ही वहाँ की सरकार नें बुर्काबंदी की | न्यूज़ीलैंड, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी ऐसा ही हुआ | फिर हिंदुस्तान पीछे क्यों ? एक तो असंख्य मुस्लिम युवतियाँ बुर्का नकारना चाहती हैं और दूसरी बात ये है कि बुर्क़े की आड़ में निश्चित क्या चल रहा होता है, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है | बुर्के का इस्तेमाल कर देशद्रोह और आतंकवाद फ़ैलाने के उदाहरण सामने आए हैं | तुर्किस्तान इस्लामी राष्ट्र है लेकिन कमल पाशा को जब संदेह हुए कि बुर्के की आड़ में कुछ हो राह है तो उसने अपने देश में मुस्लिम युवकों की दाढ़ी और बुर्क़े पर प्रतिबन्ध लगाया गया ही था | मूलतः बुर्क़े का इस्लाम से तिल भर भी संबंध नहीं है और बुर्के का इस्तेमाल हिंदुस्तान के मुसलमान अरब राष्ट्र की व्यवस्था का अनुकरण करते हैं |

हालांकि भाजपा नेताओं की तरफ़ से इस मुद्दे पर कोई अभी तक कोई टिप्पणी या बयान नहीं दिया गया है | लेकिन 5 सालों में पहली बार अयोध्या के दौरे पर गए प्रधानमंत्री मोदी से पूछे गए ऐसे सवाल से सियासी महकमें में उथल पुथल मच गई है |