(नई दिल्ली) दुनिया साल 2008 में आर्थिक संकट से गुज़र रही थी जिसकी वजह से बैंकों ने कर्ज़ देना बंद कर दिया था।जिसकी वजह से छोटी कंपनियां दिकत में पड़ गयी थी।
ऐसे समय पर समीर ने एक ऐसी कंपनी बनाने की सोची जिससे छोटी कंपनियों को लोन लेने के लिए बैंको पर निर्भर न रहना पड़े।
समीर का प्लान यह था कि वह इंटरनेट पर एक मार्केटप्लेस बनाना चाहते थे जहाँ पर छोटी-छोटी कंपनियां अलग-अलग लोगों और कंपनियों की तरफ से जुटाए गए फंड में से अपनी जरुरत के हिसाब से लोन ले सकें।समीर के साथ पढ़ने वाले उनके दोस्तों जेम्स मिकिंग्स और एड्यू मुलिगर को ये आईडिया बेहद पसंद आया।
साल 2009 में तीनों मित्रो ने अपनी अपनी नौकरियां छोड़कर फंडिंग सर्किल नाम की कंपनी के लिये काम शुरू कर दिया।
वर्तमान समय में इस कंपनी की कीमत एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।समीर कहते है कि बैंक से लोन लेने में दो हफ़्ते लग जाते है।इतने समय के बाद भी उन्हें एक छोटी मात्रा ही लोन की मिलती थी।ये छोटी कंपनिया समाज के लिये महत्वपूर्ण है तथा ये निजी क्षेत्र में काम करने वाले 60 फीसदी लोगों को रोजगार देती है।इन निजी कंपनियों की समाज को जरुरत है लेकिन बैंक इन कंपनियों की तरफ ध्यान नहीं देते है।इसी को समीर ने अपना बिजनेस बना दिया तथा आज इस समस्या से एक हजार करोड़ की कंपनी बना दी।
समीर के साथ साथ उसके दोस्तों की भी इस कंपनी को खड़ा करने में मुख्य भुमिक रही।लंदन में इस कंपनी को खड़ा करने के लिये समीर और उनके दोस्तों ने दर्जन भर निवेशकों से फंड हासिल किया।इस निवेश से ये लोग फंडिंग सर्किल की वेबसाइट को चलाने में सफल हुये।