देश में पहली बार OBC आयोग के बाद अलग से बनेगा OBC मंत्रालय !

मोदी सरकार नें संविधान संशोधन के जरिए दी थी पहली बार OBC आयोग को मान्यता, राज्यसभा सांसद नें अब अलग मंत्रालय का छेड़ा सुर

नईदिल्ली : देश में पहली बार संसद में SC/ST की तरह OBC के लिए अलग मंत्रालय बनाने की मांग उठाई गई और इसके लिए सभी पार्टियों का समर्थन भी माँगा गया |

YSR कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव वी विजयसाई रेड्डी नें राज्यसभा में प्राइवेट मेम्बर के रूप में एक बिल रखा था | ये बिल संविधान संशोधन विधेयक, 2018 (नए अनुच्छेद 330 क व 332 क का अंतःस्थापन) के रूप में पेश करते हुए रेड्डी नें कहा कि देश में समुदायों के लिए अलग-अलग मंत्रालय हैं जैसे अनुसूचित जाति/जनजातीय मंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय लेकिन OBC के संदर्भ में कोई अलग से मंत्रालय नहीं है | इसलिए भारत सरकार को इस बारे में अवगत कराके OBC के कल्याण के लिए अलग से मंत्रालय बनाने के लिए विचार करें |”

इसके अलावा ओबीसी के लिए अलग से स्किल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट बनाए जाने की मांग उठाई गई ताकि परम्परागत रूप से कार्य करने वाले ओबीसी समुदाय के कामगारों का जीवन बेहतर हो सके |

संविधान संशोधन विधेयक, 2018 (नए अनुच्छेद 330 क व 332 क का अंतःस्थापन) को पेश करते हुए रेड्डी नें कहा कि “ओबीसी की आबादी के अनुसार लोकसभा व राज्य की विधानसभाओं में 50% ओबीसी आरक्षण होना चाहिए |”

उन्होंने SC/ST एट्रोसिटी एक्ट की तरह OBC एट्रोसिटी एक्ट बनाने की मांग की |

देश के संविधान में संशोधन के जरिए OBC एक्ट बनाने के लिए विजय साईं नें पूरे सदन में उपस्थित सदस्यों से समर्थन माँगा और इसके लिए उन्होंने संसद के समक्ष तर्क भी प्रस्तुत किया और कहा कि “जैसे SC/ST को SC/ST एट्रोसिटी एक्ट के द्वारा संरक्षण दिया गया है ठीक उसी तरह OBC के साथ अत्याचार को रोकने के लिए संरक्षण कानून बनना चाहिए |”

इसके आगे उन्होंने कहा  कि “ऐसे कानूनों के लाभों को बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि OBC भी अत्याचार व ज्यादतियों के शिकार हुए हैं |”