नईदिल्ली : राजनैतिक दलों से अलग नीति आयोग निजी क्षेत्र में आरक्षण पर ना कर चुका है ।
हाल ही में समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले EPFO नें सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाईयों के बाद निजी क्षेत्र की कंपनियों से उनके यहाँ कार्यरत SC/ST कर्मचारियों का डेटा मांगा गया है।
इसके अलावा SC/ST कर्मियों का कुल रोजगार में अनुपात क्या है ? अब इस तरह के जातिगत डेटा मांगने के पीछे सरकार या मंत्रालय का उद्देश्य क्या है इसे अभी तक आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं किया गया है, रिपोर्ट अनुसार इस सर्वे का हिस्सा सरकार की थिंक टैंक संस्था नीति आयोग भी है जिसके प्रधानमंत्री ख़ुद अध्यक्ष होते हैं । जबकि राजीव कुमार वर्तमान में नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं ।
जातिगत डेटा व सर्वे के पीछे की बात करें तो अलग अलग रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार EPFO संबंधित कम्पनियों को SC/ST कर्मियों के लिए अलग से इंसेंटिव दे सकती है या उनके डेली अखबार के अनुसार, नियोक्ता का योगदान कंपनी द्वारा किया जाएगा, जबकि सरकार एससी, एसटी कर्मचारियों के लिए कर्मचारी हिस्सेदारी का भुगतान करेगी।
वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार SC/ST कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए डेटा को एकत्रित किया जा रहा है। केंद्र की योजना SC/ST कर्मचारियों द्वारा कर्मचारी भविष्य के योगदान के बिल को इस डेटा के साथ EPFO के पास भेजने की है। श्रम मंत्रालय के परामर्श से इस योजना का आधार बनाया जा रहा है।
वहीं आज़तक की रिपोर्ट में निजी क्षेत्र में आरक्षण के एक बिंदु को भी देखा गया है जिसमें कहा गया कि पिछले कुछ समय से कई पार्टियों ने निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने पर जोर दिया हैं यहां तक कि कुछ पार्टियों ने 2014 व 19 में घोषणा पत्र में इसे प्रमुख मुद्दा उठाया था इसमें से NDA का हिस्सा JDU यानी नीतीश कुमार, RLD यानी रामविलास पासवान व अन्य कई लोगों नें ।
हालांकि इस विषय पर कि “क्या सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करेगी या नहीं ?” इस पर बात करें तो भले ही राजनीतिक दलों या नेताओं के वोट-वोटइया सुर हों कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू हो, इसके ख़िलाफ़ ख़ुद निजी क्षेत्र की कंपनियों के संगठन भी हैं । इसके अलावा इस हालिया जातिगत डेटा विषय पर बात करें तो नीति आयोग के सर्वे का हिस्सा भी बताया गया है ।
लेकिन फलाना दिखाना नें सरकार की थिंक टैंक नीति आयोग का निजी क्षेत्र में आरक्षण पर राय जानने के लिए कुछ रिसर्च की तो इन हमें कुछ ऐसी जानकारी मिली जोकि अंग्रेजी अखबार द हिंदू नें 17 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित की थी जिसमें आयोग के उपाध्यक्ष नें निजी क्षेत्र में आरक्षण को सीधे नकार दिया था ।
आरक्षण पर बहस में शामिल होते हुए, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा था कि वह निजी क्षेत्र में आरक्षण की नीति का विस्तार करने के खिलाफ हैं, जबकि स्वीकार करते हैं कि SC/ST के युवाओं के लिए अधिक से अधिक रोजगार पैदा करने के लिए और प्रयासों की आवश्यकता है।
कई राजनीतिक नेताओं ने निजी क्षेत्र में एससी/एसटी के लिए आरक्षण की वकालत की थी । तो राजीव कुमार ने कहा था कि निजी क्षेत्र में नौकरी में आरक्षण नहीं होना चाहिए। उन्होंने हालांकि अधिक रोजगार पैदा करने के लिए एक मुद्दा बनाया, जिसमें कहा गया था कि सरकार 10-12 लाख युवाओं को रोजगार देने में सक्षम है ।
हालांकि हर साल 60 लाख युवा श्रम बल में शामिल होते हैं। कुमार ने कहा कि बहुत से लोग अनौपचारिक क्षेत्र में कुछ प्रकार की नौकरियों की तलाश करते थे लेकिन यह संतोषजनक स्थिति के एक बिंदु पर पहुंच गया। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, नीतीश कुमार की तरह पूर्व में अन्य राजनीतिक संगठनों द्वारा भी की जा चुकी है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साल 2016 में निजी क्षेत्र में आरक्षण का मुद्दा उठाया था ।
हालांकि, कई उद्योग संघों ने माना है कि निजी क्षेत्र में आरक्षण शुरू करने से कुशल श्रम में कमी के कारण विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है, और राज्य में निवेश को आकर्षित करने की संभावना को काफ़ी नुकसान पहुंचा सकता है।
Against job reservation in private sector, says Niti Ayog VC https://t.co/2n1SkAQg9g
— India NewsWaver (@ENIN_NewsWaver) October 17, 2017