नईदिल्ली : अमेरिकी यूनिवर्सिटी के साथ लोहिया अस्पताल में महामृत्युंजय मंत्र पर रिसर्च हो रही है जल्द ही जिसकी अंतिम रिपोर्ट आते ही अंतराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा ।
भारतीय सनातन संस्कृति में महामृत्युंजय का मंत्र प्रयोग हजारों सालों से होता चला आ रहा है । अनेक लोग गंभीर बीमारियों में जीवन बचाने के लिए भी इस मंत्र का जाप करते हैं अब तक इसे लोगों की आस्था से जोड़कर देखा जा रहा था । वैज्ञानिक दृष्टि से यह मंत्र स्वास्थ्य के लिए कितना असरदार है इसका पता लगाने के लिए केंद्र सरकार के दिल्ली स्थित RML (राम मनोहर लोहिया) अस्पताल में करीब 4 सालों से शोध चल रहा है ।
अब तक के नतीजों में से डॉक्टर उत्साहित हैं डॉक्टरों का कहना है कि शोध में एकत्रित डेटा का विश्लेषण चल रहा है एक-दो माह में इसकी रिपोर्ट तैयार हो जाएगी इसे अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा । शोध में महत्व का अंदाजा इससे लगाया जाता है कि अमेरिका के फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में भी यहां के डॉक्टरों से संपर्क किया है इस सोच से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है । अस्पताल में यह शोध गंभीर ब्रेन इंजरी वाले मरीजों पर किया गया है वर्ष 2016 पर इस शोध को शुरू किया गया था । यह शोध अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉक्टर अजय चौधरी के नेतृत्व में चल रहा है, उन्होंने कहा कि देश में लोगों के लिए यह मंत्र बड़ी उम्मीद है जीवन रक्षक के रूप में इसका प्रयोग करते हुए सिर्फ मान्यता है या विज्ञान का कोई ताल्लुक है ?
उन्होंने कहा कि इस तरह के मंत्र में देश में शोध कम हुए लेकिन विदेशों में काफी हो रहा है देश में लंबे समय से लोग खास अवसरों पर उपवास करते हैं इसको लेकर भी देश में कोई शोध नहीं हुआ जबकि 2016 में मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार जापान के जिस डॉक्टर को मिला उन्होंने शोध किया था । शोध में बताया था कि वह से शरीर के अंदर कैंसर समेत अन्य बीमारियों के लिए जिम्मेदार सेल्स को ख़त्म कर देते हैं ।
उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में चल रहे शोध के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद को फंड जारी किया है । ब्रेन सर्जरी के 40 मरीजों पर अध्ययन किया जा रहा है इन मरीजों को भी ग्रुप में बांटा गया है । एक ग्रुप के मरीजों को प्रोटोकाल के तहत निर्धारित इलाज किया गया दूसरे ग्रुप के मरीजों को इलाज के साथ-साथ महामृत्युंजय मंत्र भी सुनाया गया ।
यह काम आईसीयू के बाहर रिहैबिलिटेशन के दौरान किया गया पहले यह पूरी प्रक्रिया अस्पताल में हुई बाद में कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया स्थित संस्कृत विद्यापीठ को शामिल किया गया और मरीजों को ले जाकर महामृत्युंजय का प्रयोग कराया गया इसका कितना फायदा हुआ यह रिपोर्ट आने के बाद साफ़ हो जाएगा ।