2014 लोकसभा चुनाव में सवर्णों नें सबसे ज्यादा NOTA दागे थे

एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम व दिल्ली विधानसभा चुनाव-2013 में पहली बार NOTA का प्रयोग, 2014 लोकसभा चुनाव में गरीबों व किसानों नें भी इसे आजमाया

नईदिल्ली : देश 1947 में आजाद हुआ, और इसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले पीएम बने | लेकिन उसके 4 सालों बाद देश में पहला आम चुनाव कराया गया था | देश नें 1951-52 में पहले लोकसभा चुनाव को देखा जिसमें एक ही पार्टी सब कुछ थी उसी की सरकार बनी और एक बार फिर नेहरू पीएम बने |

अब बात करते हैं देश में अब तक के सबसे बड़े आम चुनाव की, जोकि 2014 का लोकसभा चुनाव है | इसमें उस पार्टी नें 282 सीटों के साथ भारी बहुमत से सरकार बनाई जिसके कभी लोकसभा में 2 सदस्य रहा करते थे मतलब भाजपा | वहीं लगभग 60 सालों से सत्ता सुख भोग रही कांग्रेस को इतिहास की सबसे बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा और सिर्फ 44 सीटें ही खाते में आईं |


सवर्णों और शहरियों को खूब भाया था NOTA :

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सा कि हरेक चुनाव में दलों को वोट हर जाति व धर्म के लोग देते हैं | देश में भाजपा नें लोकसभा चुनाव में बम्पर सीटों के साथ बनाई उसमें सबसे ज्यादा वोट 54.1 % ऊंची जातियों नें दिए वहीं कांग्रेस को 12.1 % वोट दिए थे | वहीं नोटा का विकल्प भी लोगों को खूब भाया भले ही यह लोकसभा चुनाव में पहली बार आया था | लेकिन इसका सबसे ज्यादा उपयोग सवर्णों ने किया था उन्होंने 2.5% नोटा दबाया था | अगर हम क्षेत्रबार नोटा की बात करे तो फिर इसमें शहरियों नें सबसे ज्यादा 1.9% जबकि ग्रामीणों नें 0.6% नोटा डाला था |

गरीबों व किसानों नें भी NOTA पर खूब हांथ आजमाया था :


इन चुनावों की जानकारी को अगर हम ” National Election Study-2014 ” की ओर से देखें तो पता चला कि देश के गरीब तपके के लोगों नें भी अपनी उंगली को नोटा पर रखा था | आर्थिक रूप से गरीब लोगों नें 1.5% और देश के पालनहार व अन्नदाताओं यानी किसानों नें 0.6% नोटा को चुना | आपको बता दें कि 2013 में सबसे पहले नोटा का प्रयोग एमपी, राजस्थान, मिजोरम, छत्तीसगढ़ व दिल्ली के विधानसभा चुनावों में किया गया था | आज समाज का एक बड़ा वर्ग राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को न चुनकर None Of The Above यानी NOTA को अपना बनाया |