धर्म परिवर्तन के बाद बंद हो SC-ST का आरक्षण, BJP सांसद नें संसद में उठाई माँग !
गोड्डा (झारखंड) : संसद में BJP सांसद नें SC-ST को धर्मांतरण के बाद आरक्षण बंद करने की माँग उठाई, साथ ही इसके लिए नए कानून बनाने की मांग रखी।
देश की संसद में एक बार फ़िर से अनुसूचित जाति जनजातियों के धर्मांतरण का मुद्दा उठा। बीते 20 नवंबर को संसद के निचले सदन लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे नें ये मुद्दा उठाया।
निशिकांत दुबे झारखंड के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से तीसरी बार भाजपा के सांसद हैं। निशिकांत दुबे ने देश की संसद में धर्म परिवर्तन के बाद आरक्षण न देने जैसे कानून बनाने की मांग की।
अपने भाषण के दौरान निशिकांत दुबे ने कहा कि “देश में संविधान में लिखा था किस किसको आरक्षण की सुविधा मिले, एससी एसटी को आरक्षण मिले यह संविधान सभा का खुला मत था।”
दुबे नें संवैधानिक आरक्षण में गड़बड़ी के बिंदु पर कहा “उस आरक्षण में दो भेदभाव हो गए, यदि SC (अनुसूचित जाति) धर्म परिवर्तन कर ले तो उसे आरक्षण नहीं मिलेगा। लेकिन ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए कहा गया था, क्योंकि उनका रहन-सहन संस्कृति आचार व्यवहार अलग है इस कारण से ST को एक कारण दे दिया गया।”
आगे दुबे नें आज़ादी के बाद से झारखंड के आदिवासियों के धर्मांतरण की दशा बताते हुए कहा “झारखंड की स्थिति यह है कि जो आजादी के समय 26 से 27% के आसपास आबादी आदिवासी हैं उनमें से उस समय केवल 3% लोग ईसाई थी, धर्मांतरण 3% लोग किए थे।”
“धर्मांतरण करने का भी एक कानून 1947 में बना था जो ये कहता था कि धर्मांतरण हो तो कोई रोक-टोक नहीं है लेकिन डीएम के साथ उसको जानकारी होनी चाहिए। लेकिन आज स्थिति यह है कि उस 26% में से 20% आदिवासी लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने धर्मांतरण कर लिया। धर्मांतरण करने से उनकी पूरी संस्कृति बदल गई, धर्मांतरण करने वाले लोगों को सामाजिक शैक्षणिक और विशेष आर्थिक तौर पर प्रभावित करके धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।”
बाद में दुबे नें संविधान सभा का हवाला देकर उक्त गतिविधियों में नए कानून की वक़ालत की। उन्होंने कहा “जब संविधान सभा में बहस हुई तो पूर्वजों ने कहा जब इस तरह की स्थिति होगी तो SC की तरह ST को भी धर्म परिवर्तन के बाद रिजर्वेशन नहीं मिले।”
चर्चा में निष्कर्ष जोड़ते हुए निशिकांत दुबे नें SC-ST दोनों वर्गों को धर्मांतरण करने के बाद आरक्षण की सुविधा बंद करने जैसे नए केंद्र सरकार द्वारा नए संवैधानिक कानूनों को लागू करने की मांग की।
इस संबंध में भाजपा के ही नेता व सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय जो ख़ुद अदालतों में इसके लिए कई याचिकाएं डाल चुके हैं उन्होंने ऐसे कानून लाने का समर्थन किया।
अश्विनी उपाध्याय बोले “धर्मांतरण का मुद्दा संसद में उठाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और आभार निशिकांत जी भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान संहिता के साथ जनसंख्या नियंत्रण, घुसपैठ नियंत्रण और धर्मांतरण विरोधी कानून बहुत जरूरी है।
धर्मांतरण का मुद्दा संसद में उठाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और आभार निशिकांत जी