नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर खूब हो रहे हो-हल्ले के बीच आखिरकार सरकार ने आर्टिकल 334 में निहित अनुसूचित जाति व जनजाति के आरक्षण को दस साल बढ़ाने के लिए संसद में बिल पेश कर दिया है। एक सौ छबीसवें सविंधानिक संशोधन के साथ ही एससी एसटी के संसदीय व राज्य की विधान सभा के आरक्षित सीटों का दायरा अगले दस सालो के लिए बढ़ा दिया गया है।
बिल के मुताबिक 25 जनवरी 2020 को ख़त्म हो रही समय सीमा को अगले दस सालो के लिए बढ़ाया जा रहा है वही खंड ऐ और बी में प्रयुक्त सत्तर साल को संशोधित करके 80 वर्ष किया गया है।
वही कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद के अनुसार ‘पिछले 70 सालों में अनुसूचित जाति व जनजाति में बेहद तरक्की देखने को मिली है जो हमारे सविधान निर्माताओं के उद्देश्य को पूर्ण करती है वही उन्हें और आगे बढ़ाने के लिए हम इसे 25 जनवरी 2030 तक फिर से बढ़ा रहे है’।
Lok Sabha today unanimously passed the Constitution Amendment Bill to extend the benefit of reservation in union and state legislatures for SC/ST for another 10 years.
This affirms the commitment of PM @narendramodi for empowerment of these communities.https://t.co/Ja5O3Mlggy— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) December 10, 2019
ख़त्म हुआ एंग्लो इंडियन आरक्षण
सरकार ने एंग्लो इंडियन को लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है साथ ही इनकी भी तय सीमा 25 जनवरी 2020 को समाप्त हो रही है। इसके मायने यह है कि इनका आरक्षण अब अपने आप समाप्त हो जायेगा जिसके बाद से लगातार एंग्लो इंडियन समुदाय प्रदर्शन कर रहा है। बिल में सिर्फ एससी एसटी के आरक्षण सम्बंधित बाते की गई है जिससे अपने आप एंग्लो इंडियन को लोकसभा व विधानसभा में मिलने वाला आरक्षण समाप्त हो जायेगा।
आरक्षण की क्यों है जरुरत
अंग्रेजो के शासन के बाद भारत में वैसे तो सभी भारतीयों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति ख़राब हो गई थी परन्तु एससी एसटी तबके से आने वाले लोगो की स्थिति काफी बत्तर हो चली थी। जिसके बाद हमारे सविधान निर्माताओं ने उनकी स्थिति को उभारने के लिए आरक्षण जैसे प्रावधान देने का फैसला किया। पिछले 70 सालो में अनुसूचित जाति व जनजाति की हालत में काफी सुधर देखने को मिला है परन्तु अब भी कई जगहों से उनके साथ ऊंच नीच की खबरे देखने सुनने को मिल जाती है। जो आरक्षण को जारी करने के लिए कही हद सरकार व समाज को मजबूर कर देता है।
क्यों हो रहा है विरोध
अभी तक सड़को पर कोई बड़ा विरोध देखने को नहीं मिला है। सोशल मीडिया पर लोग आपको इस विषय पर दो पांच करते हुए मिल जायेगे फिर भी लोग सड़को पर इसे उतना महत्व नहीं दे रहे है जितना सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है। 11 दिसम्बर को कुछ आरक्षण विरोधी संगठनों ने संसद घेराव का मन बनाया है अब देखने वाली बात यह है कि कितने लोग संसद की ओर कूच करते है।