चेन्नई (तमिलनाडु) : भारत में 22 दिसंबर का दिन ऐतिहासिक रूप में काफ़ी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी दिन पूरा देश याद करता है एक ऐसे महान गणितज्ञ को जिन्होंने अपनी 32 साल की ही छोटी सी जिंदगी में ही गणित के क्षेत्र में बहुतकर दिए थे कई कारनामें |
मनमोहन सरकार नें की थी दिवस मनाने की घोषणा :
भारत ही वह देश है जिसनें पूरी दुनिया को गिनती गिनना सिखाया था और इसके पीछे थे महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जिन्होंने शून्य की खोज करके गणित को खिलौना बना दिया | वहीं उनकी पीढ़ी को आगे का बढ़ाने का काम किया ब्रिटिश काल के इरोड़ नामक जगह में (वर्तमान में चेन्नई) जन्में रामानुजन नें | उनका जन्म 22 दिसंबर 1887 को साड़ी के दुकान में क्लर्क का काम करने वाले पिता के. श्रीनिवास अयंगार के घर हुआ था |
गणित के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए 125वीं जयंती वर्ष 2012 में मनमोहन सिंह सरकार नें उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी |
शाकाहारी होने के कारण लंदन से होना पड़ा वापस :
एक रूढ़िवादी अयंगर ब्राह्मण परिवार में जन्मे, रामानुजन के सख्त शाकाहारी भोजन और बहुत कम खाने की आदत थी | इस कारण से लंदन के बेतहाशा सर्दियों में जीनियस रामानुजन के स्वास्थ्य पर काफ़ी विपरीत प्रभाव पड़ा |
लंदन में वह बाहरी जलवायु को सहन नहीं कर सके, जिसके परिणामस्वरूप तमिलनाडु में उनकी वापसी हुई | और फिर तमिलनाडु के आवास में वो रहने लगे थे | साल 1920, 26 अप्रैल में 32 वर्ष की कम उम्र में कुंभकोणम में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया |
रामानुजन की उपलब्धियों पर एक सरसरी निगाह :
भले ही उनकी जिंदगी 32 साल की ही थी लेकिन इसी दौरान उन्होंने गणित के क्षेत्र में कई कारनामें कर डाले थे | मात्र 11 साल की छोटी सी उम्र में ही गणित में खोज करने में जुट गए थे इसी कारण से उन्हें गणित का जीनियस भी बोला जाता है |
उनकी सबसे बड़ी उप्लब्धि थी कि जिन गणितीय समस्याओं को कोई हल नहीं कर पाया वो उन्होंने हल करके दिखा दिया | उनकी खोजों का कमाल ही है कि ब्रह्मांड के कई अनसुलझे रहस्यों को खोजने में आज पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को काफ़ी मदद मिलती है |
उनकी याद व श्रद्धांजलि के रूप में एक लोकप्रिय सिनेमा के माध्यम से देव पटेल-स्टारर नें “ The Man Who Knew Infinity ” नामक मूवी बनाई |