भोपाल (MP) : मप्र राज्य शिक्षा बोर्ड कक्षा 8, सामाजिक विज्ञान की किताबों में बच्चों को पढ़ाया जाता है कि सवर्ण करते हैं निम्न जातियों का शोषण |
falanadikhana.com की टीम के पास एक शिकायत पहुंची जोकि काफ़ी संवेदनशील थी जिसमें एक समाज को विशेष रूप से अत्याचारी व शोषणकारी दिखाया जा रहा है |
आइए शुरू से समझते हैं आखिर ये विवाद है क्या ? तो मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केंद्र की 8वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब में जातिगत टिप्पणी की गई है | ये किताबें MP की सरकारी स्कूलों के अलावा राज्य के 8बोर्ड में पढ़ने वाले सभी बच्चे पढ़ते हैं |
इसी विषय के लेसन-4, में अध्याय का नाम है “राष्ट्रीय एकीकरण” और इसी पाठ के अंदर एक टॉपिक है “जातिवाद के दोष” | इस टॉपिक के जिन बिन्दुओं बच्चों को शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता है उन्हें हम आपको अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद कर बता रहे हैं |
- जातिवाद समाज को उच्च व निम्न वर्गों में बाँटता है |
- उच्च जाति (सवर्ण) निम्न जाति के लोगों का शोषण करते हैं |
- जातिगत भेदभाव बहुत सख्त होता है |
- जातियों का प्रभाव राजनीति को प्रभावित करता है |
- जातीय व्यवस्था राष्ट्र के आर्थिक प्रगति व एकता में परेशानी पैदा करती है |
इसका दूसरा बिंदु साफ़ साफ़ यह कह रहा है कि “जो ऊंची जाति के लोग होते हैं वो निम्न जाति के लोगों पर अत्याचार करते हैं, उनका शोषण करते हैं अर्थात वो अत्याचारी होते हैं, शोषण कर्ता होते हैं |”
अब इसपर प्रश्न क्यों उठा ? क्योंकि इसमें पूरे एक जाति व समुदाय विशेष को केंद्रित किया गया है ! यदि जातीय व्यवस्था के दोष लिखे गए तो क्या इसके द्वारा पूरे समाज पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करना जायज़ है ? क्या जब किसी समाज का बच्चा अपने शिक्षक से ऐसी बातें सुनेगा कि तुम जिस समाज से हो वो उसका इतिहास अत्याचारों से पटा हुआ है |
अब यह प्रश्न उनसे होगा जिसने ऐसी आपत्तिजनक बातें छपने की अनुमति दी जोकि किसी विशेष समाज की भावनाओं को आहत करता है, उसको अत्याचारी बताया जाता है ?
अब जिस किताब में ऐसी बातें छपी हैं उसके बारे में थोड़ा सा बताते हैं कि :
मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा निगम द्वारा साल 2007 में पहली बार प्रकाशित किया गया उसके बाद से वर्तमान शिक्षण सत्र 2019 तक इसको 12 बार रीप्रिंट किया गया और यह किताब मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक की स्टैंडिंग कमेटी द्वारा अनुमोदित की गई है |
falanadikhana.com की राय है कि यदि कोई ऐसा विषय जोकि किसी समाज विशेष को आहत करता है उसपर शीघ्र सुधार करना चाहिए |