नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लिए गए जॉइंट सेक्रेटरी जैसी हाई प्रोफेशनल पदों पर निजी क्षेत्र के दिग्गजों की भर्ती पर सवाल उठने शुरू हो गए है।
दरअसल सरकार की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने निजी क्षेत्र का रुख किया था जिसमे अपने क्षेत्र के दिग्गजों को तरजीह दी जाएगी।
उदहारण के रूप में अगर मान ले की टेक्सटाइल मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी पदों या किसी अन्य पदों पर निजी क्षेत्र से भर्ती की जाती है तो उसमे निजी क्षेत्र की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में बेहद उम्दा प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों को सरकार मंत्रालय में नियुक्त करेंगी ताकि वह सरकार के साथ मिलकर अपने तजुर्बे से सरकारी कामकाज को पटरी पर ला सके।
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परन्तु बवाल नियुक्तियों को लेकर नहीं मच रहा है, बाहर से नियुक्ति करने से बड़े पदों पर आरक्षण की सभी सीमाएं समाप्त हो जाएँगी क्यूंकि हर मंत्रालय में एक आधे पद ही निकाले जा रहे है।
हाल ही की RTI से खुलासा हुआ है की डिपार्टमेंट ऑफ़ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग ने नियुक्ति का ऐसा तरीका निकाला है जिससे आरक्षण की व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी।
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आपको बता दे कि सरकार ने हाल ही में इसी तरीके से 9 जॉइंट सेक्रेटरी पदों पर नियुक्ति की थी जिसपर सभी सामान्य वर्ग के लोगो की भर्ती देखने को मिली थी।
सरकार की तरफ से 9 लोगो को नियुक्त किया गया उनके नाम है:
अम्बर दुबे
राजीव सक्सेना
सुजीत बाजपेयी
दिनेश दयानन्द
काकोली घोष
भूषण कुमार
अरुण गोयल
सौरभ मिश्रा
सुमन प्रसाद सिंह