ज्यादातर दुष्कर्म व छेड़छाड़ साथ बैठने-धूमने वाले करते हैं : हरियाणा सीएम

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को शुरू करने वाले हरियाणा सूबे के मुखिया मनोहर लाल खट्टर का दुष्कर्म पर बयान, चौतरफ़ा आलोचना के हुए शिकार

हरियाणा : याद है न आपको 22 जनवरी 2015 की तारीख़ ? अगर याद न हो तो हम बता ही देते हैं इसी दिन हरियाणा सूबे से पीएम नरेंद्र मोदी नें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को शुरू किया था |  जाहिर है नाम से ही इसका उद्देश्य पता चलता है कि ये योजना देश में बेटे-बेटियों के बीच लिंग के नाम पर खाई को पाटने के लिए लाई गई थी |

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इसमें सबसे बड़ी बात है कि ये योजना हरियाणा के ही पानीपत जिले से चालू हुई थी जहाँ लिंगानुपात सबसे खराब था | वैसे ये हालात समूचे राज्य के ही थे, लेकिन उसी सूबे के मुखिया का दुष्कर्म की घटनाओं पर एक बयान सवालों के घेरों में आ चुका है |

खट्टर साहब का “आउट आफ़ कोर्स” वाला बयान :

सूबे के मुखिया नें 15 नवंबर को हरियाणा के एक कार्यक्रम में ऐसी बात कही जिसकी लोग चौतरफ़ा आलोचना कर रहे हैं |

उन्होंने कहा कि ” सबसे बड़ी चिंता ये है कि जो दुष्कर्म व छेड़छाड़ की 80-90 घटनाएं हैं वो जानकारों के बीच ही होती हैं | काफ़ी समय के लिए इकट्ठे घूमते हैं, थोड़ी से अनबन हुई, उसी दिन उठाकर FIR करवा देते हैं कि इसनें दुष्कर्म किया है | ”

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खट्टर साहब के इस बयान पर लोग सोशल मीडिया से लेकर हर जगह भड़क रहे हैं | सोशल मीडिया पर लगातार लोगों के कमेंट कर रहे हैं कि जिनके ऊपर लड़कियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है वो ही दुष्कर्म करने वालों के हौंसले को बुलंद करने वाले बयान दे रहे हैं |

उधर मोदी कहें बेटा बेटी एक समान, इधर खट्टर दें अजीबोगरीब बयान :

पीएम नें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को लांच करते समय कहा था कि हमारा मंत्र होना चाहिए बेटा-बेटी एक समान लेकिन उन्हीं के पार्टी के एक जिम्मेदार नेता व हरियाणा के मुखिया का विवादित बयान दुष्कर्म पीड़ितों के लिए अपमानजनक प्रतीत होता है |

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क्योंकि मुखिया होने के नाते उनकी पहली जिम्मेदारी है कि सूबे में लड़कियों के लिए समानताएं हों, उन पर किसी भी तरह की ज्यादती न हों |

हमें लगता है कि किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति को इस तरह के बयानों से कोसों दूर रहना चाहिए तभी हम समाज में लड़कियों को बराबरी का हक़ दिला सकेंगे |