नईदिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री नें संसद में न्यायपालिका में आरक्षण देने वाला प्रस्ताव पेश किया है।
मोदी सरकार नें न्यायपालिका में आरक्षण देने के लिए संसद में प्रस्ताव पेश कर दिया है | हाल ही कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद नें SC-ST समुदाय का विधानसभाओं व लोकसभा में आरक्षण अगले 10 सालों तक बढ़ाने वाला बिल संसद के दोनों सदनों में पेश किया था |
Congratulated the Honourable Law Minister for introducing the 126th Constitutional Amendment Bill that extends reservation of seats for SC & ST in Lok Sabha and State Assemblies till January 2030. pic.twitter.com/MwS89Hrz02
— Vijayasai Reddy V (@VSReddy_MP) December 12, 2019
जिसके पहले लोकसभा, बाद में राज्यसभा में भी सर्वसम्मति से पास कर दिया | वहीं सरकार नें कहा कि वो समाज के विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
Lok Sabha passes “The Constitution (One Hundred and Twenty-Sixth Amendment) Bill, 2019” to continue the reservation of seats for the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes for another ten years i.e. up to 25th January, 2030. @rsprasad
— LOK SABHA (@LokSabhaSectt) December 10, 2019
कल SC-ST आरक्षण बिल पास होने के बाद कानून मंत्री नें संसद में न्यायपालिका में SC-ST व OBC आरक्षण देने के लिए UPSC जैसे आल इंडिया ज्युडिशियल सर्विस (AIJS) की स्थापना के लिए प्रस्ताव रखा |
संसद में कानून मंत्री नें प्रस्ताव के बारे में बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार का जोर न्यायपालिका में नई प्रतिभा को लाना है |
उन्होंने बताया कि AIJS का प्रस्ताव जिसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की परीक्षाएं कराई जाएँगी | इस परीक्षा के जरिए SCST व अन्य पिछड़े वर्गों को न्यायालयों में आरक्षण देना है |
हालाँकि यह सरकार का पहला कदम नहीं है जब न्यायालयों में आरक्षण देने की बात की गई है इसके पहले भी कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा ही इस तरह के आरक्षण देने की घोषणा की गई थी |
दिसंबर 2018 में उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक कार्यक्रम में कानून मंत्री नें SCST को न्यायपालिका में आरक्षण देने की बात बात घोषणा की थी |
All India Juducial services is very much needed. A welcome decision by GOI
SC ST act: Now, law minister Ravi Shankar Prasad pushes for SC/ST quota in judiciary | India News – Times of India https://t.co/fW55HXkLwl— Sreenivas Bidari?? (@BidariSreenivas) December 26, 2018
वहीं हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश बनें शरत अरविन्द बोबडे नें अमर उजाला को दिए एक इन्टरव्यू में कहा था कि न्यायपालिका में आरक्षण की अभी कोई जरूरत नहीं है |
As far as there is emphasis on more induction of talent is concerned, we are proposing to have All India Judicial Service conducted at national level under the Supreme Court control where we can induct the best talent & give reservation to SC/ST & other marginalised communities. pic.twitter.com/qXfRIfqSfg
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) December 12, 2019