मध्य प्रदेश(भोपाल) : जैसे जैसे एमपी चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे वैसे सियासी दाँव भी लगातार तेज होते जा रहे है।दरसल केंद्र सरकार द्वारा किये गए एससी एसटी एक्ट संशोधन के विरोध की सबसे बड़ी आंच सूबे में ही देखने को मिली थी जिसके बाद से जातिगत आरक्षण के खिलाफ भी सवर्ण संगठनों ने आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है।
सवर्णों के संगठन सपाक्स द्वारा चुनाव में उतरने का बिगुल फुंकने के बाद से ही भाजपा और कांग्रेस की मुश्किलें पहले से ही बढ़ी हुई थी अब उनकी माथे की लकीरो में इजाफा करने के लिए किन्नर अखाडा भी मैदान में कूद गया है। जातिगत आरक्षण के विरोध में किन्नर अखाडा ने अपना प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर व साथ ही अन्य आरक्षण विरोधी दलों को समर्थन देने की घोषणा कर सियासी पंडितो की भी सांसे अटका दी है।
इंदौर में हुए महासम्मेलन में महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा की अखाडा उन प्रत्याशियों को समर्थन करेगा जो आरक्षण के खिलाफ कार्य करते आये है और साथ ही जो भी किन्नर चुनाव लड़ना चाहेगा उसकी मदद भी अखाड़े की ओर से की जाएगी।
अभी तक किन्नर अखाडा को शिवराज खेमे का माना जाता रहा है परन्तु अखाड़े के खुल कर एससी एसटी एक्ट व आरक्षण के विरोध में आने से भाजपा सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है।
हाल ही में सवर्णो के गुस्से को भांपते हुए सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज जी ने घोषणा कर साफ़ किया था की एससी एसटी एक्ट में पहले जांच होगी फिर गिरफ्तारी की जाएगी परन्तु राज्य सरकार की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है।