नईदिल्ली : AAP नें घोषणा पत्र में वादा किया है कि 60% लाने वाले दिल्ली के बच्चों को दिल्ली के कालेजों में एडमिशन मिलेगा |
हाल ही में आम आदमी पार्टी नें लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए दिल्ली के लिए घोषणा पत्र जारी कर दिया है | हालांकि इस घोषणा पत्र में केजरीवाल सरकार नें वादों को पूरा करने से पहले पूर्ण राज्य की शर्त रखी है मतलब पूर्ण राज्य का दर्जा दिल्ली को मिला तभी सभी वादे पूरे किए जाएँगे |
जैसा आपको भी पता है कि दिल्ली सरकार का शिक्षा माडल पूरे देश में चर्चा का विषय बना रहता है | हालांकि उनके घोषणा पत्र में शिक्षा को लेकर बड़ा दांव खेला गया है | केजरीवाल नें घोषणा की है कि यदि दिल्ली पूर्ण राज्य बनेगा तो 85% दाखिला दिल्ली के कालेजों में 60% अंक लाने वाले दिल्ली के बच्चों को दिया जाएगा | इसी तरह नौकरी के लिए भी कहा गया है |
लेकिन दिल्ली वालों के लिए 60% अंक और उसके बाद उन्ही के लिए 85% सीटें आरक्षित का मसला कई प्रबुद्ध जनों, देशभर के विद्यार्थियों और शिक्षकों को हजम नहीं हो रहा है और यह विषय चर्चा का मुद्दा बन चुका है | उधर कई लोगों नें केजरीवाल एंड कंपनी पर क्षेत्रवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया है |
लेकिन अगर हमनें केजरीवाल के इस घोषणा का टेस्ट किया तो कुछ बातें सामने आईं | जैसा कि आपको पता है दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) देश का नामीगिरामी विश्वविद्यालय है जहाँ यूपी, बिहार, झारखंड,एमपी, अरुणांचल, हिमांचल, त्रिपुरा, मेघालय,असम, बंगाल जैसे देश के कोने-कोने से बच्चे पढ़ने आते है | इसके अलावा यहां गरीब, मध्यम व अमीर सभी तबके के बच्चे एक साथ पढ़ते हैं और कई भाषाओं, बोलियों, संस्कृतियों, परिधानों, परिवेशों को जानने समझने वाले बच्चे भी एक साथ एक ही पढ़ते हैं |
लेकिन आपको ये भी बता दें कि हजारों किलोमीटर दूर से बच्चे यहाँ डीयू की हाई-फाई मेरिट, अच्छा वातावरण, अच्छी सुविधा आदि के लिए खिचे चले आते हैं | लेकिन यदि केजरीवाल जी नें जो सपना देखा है अगर पूरा हो गया तो 85% सीटें दिल्ली वालों के लिए दे दी जाएंगी और बाहरी बच्चों के हाथ लगेगा बस फ़िल्मी डायलाग ‘दिल्ली अभी दूर है’ |
दूसरा प्रभाव डीयू की गुणवत्ता पर पड़ेगा जोकि 99%, 95%, 90% जैसे हाई-फाई अंकों की मेरिट के साथ एडमिशन देता है | तो अब केजरीवाल सरकार से यह प्रश्न पूछना बनता है कि अगर आप दिल्ली के बच्चों की शिक्षा के लिए इतनीचिंता कर रहे हैं तो उन्हें ऐसी सुविधाएँ देने का वादा क्यों नहीं किए कि वो देश के सभी राज्यों के बच्चों को पीछे छोड़कर इतने अंक लाएं कि बाकियों का एडमिशन न हो ?
इसके अलावा डीयू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जोकि भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित SC/ST/OBC/EWS को छोड़कर दूसरा कोई भी आरक्षण नहीं लगा सकता | यानी केजरीवाल सरकार को डीयू का दर्जा केंद्रीय से छोटा करके राज्य संस्था का दर्जा देना पड़ेगा जोकि संभव नहीं होगा | फिर भी वोटबैंक की राजनैतिक लालसा के लिए बाँटने वाले पांसे क्यों फेके जा रहे हैं ? क्या यह देश के संघी ढांचे का मजाक उड़ाना नहीं है ? ऐसे में कल को दूसरा मुख्यमंत्री बोलेगा IIT मुंबई में सिर्फ मराठी पढ़ेगा, IIT खड़गपुर में बंगाली, IIT मद्रास में तमिल पढ़ेगा | ऐसे ही कई प्रश्न हैं जो ताल ठोक के पूछे जाएँगे जो भी बंटवारे की राजनीति करेगा |
लेकिन हमनें कई विशेषज्ञों से इस बारे में बात की तो उन्होंनेकहा कि तकनीकी रूप से यह संभव ही नहीं हो पाएगा बस ये चुनावी दांव ही है |
The Aam Aadmi Party manifesto is only vote catching manifesto, not a single Truth in it.
Status of a full state is not possible, says experts.
85% college quota in DU is not possible, says experts.
Sealing of unauthorised establishments can’t be stopped.
Continue…in next tweet— Chowkidar Girish Sharma (@GirishS55307322) April 26, 2019
@aajtak @IndiaToday
Not possible to bring 85% state quota at University of Delhi since it was established by an act of the Parliament (Delhi University Act, 1922) and is bound by its statutes and ordinances.— Kavleen Marwah (@kavleen_marwah) April 27, 2019
Like everywhere else, Delhi too already has the 85% local quota in State University colleges (eg Indraprastha University).
I don’t know what’s he promising now. :-/
— TomKat (@t_mkat) April 25, 2019
Patrakarita chod AAP Join kar le pahle tu….
Ab yeh bata ki Aap is talking abt 85% quota for Delhi people….
Out of these 10 guys releasing the Manifesto, how many are Delhi Born ???????
— Ash (@salutetoarmy) April 25, 2019