नईदिल्ली : चित्रा त्रिपाठी के आरक्षण पर वार से पत्रकार प्रशांत कनौजिया तिलमिला उठा और देश में गुलामी की माला सवर्णों के नाम टांग दी लेकिन यूजर नें जमकर क्लास ले ली |
दरअसल आजतक की महिला एंकर चित्रा त्रिपाठी नें आरक्षण पर सवाल उठाया था लेकिन उनके इस प्रश्न से जातिवादी राजनीति की रोटियों में पल रहे नेताओं से लेकर पत्रकारों में घर चलाने का सवाल आ गया | कुल मिलाकर चित्रा का ये सवाल उनकी जातिवादी आत्मा को तेल डालकर सुलगा दिया और वो सुलगने लगे |
कुछ सीधे उनसे सवाल करने की बजाय उनकी बिहार की भीषण बाढ़ में रिपोर्टिंग के दौरान खिंचवाई फोटो को नखरा बताने में लग गए | चित्रा नें जवाब भी दिया कि घर में बैठके भाषण देने और यहाँ आकर बिना रास्तों के गाँव गाँव तक जाने में अंतर होता है |
अब आया नंबर आरक्षण के सवाल पर तो हिंदू फ़ोबिया का शिकार व सवर्ण विरोधी (ख़ासकर ब्राह्मण), पत्रकार प्रशांत कनौजिया इस सवाल से तिलमिला गया बल्कि जल भुन गया |
चित्रा नें पूछा था कि “बिहार में कुछ लोगों ने मुझसे सवाल किया – ये बताइये कि सत्तर नंबर वाला क्लर्क और पचास नंबर वाला अधिकारी बनेगा…! आरक्षण का दर्द, कम नंबर पाकर अच्छी यूनिवर्सिटी में दाखिला और ज्यादा नंबर पाकर कॉलेज में एडमिशन ? ऐसा हमारे ही देश में क्यों होता है ?”
प्रशांत नें जवाब में चित्रा से पूछा कि “देश के बहुत लोगों ने सवाल किया- अगर ब्राह्मण बुद्धिमान था, राजपूत बलशाली था, बनिया व्यापार में निपुण था, तो देश गुलाम कैसे बना..? उस समय तो आरक्षण भी नहीं था ! सभी विभाग के प्रमुख सवर्ण फिर भी देश की आर्थिक स्थिति बेकार, सारे घोटालेबाज़ सवर्ण, अनपढ़ एंकर !”
कई यूजर्स प्रशांत को ही नसीहत देने लगे और कहा कि तुम जैसे जयचंद पहले भी थे जिन्होंने इतिहास भी ठीक से नहीं पढ़ा |
क्योंकि उस समय देश छोटी छोटी रियासतो में बटा हुआ था।और आज जातियो में बटा हुआ है।इसलिए उस समय भी गुलाम बना और आगे भी यदि जातियो में बटे रहे तो गुलाम हो सकता है।
— Manish Soniya (@soniya_manish) July 28, 2019
अक्ल के अंधों , देश गुलाम हुआ , आपस की फूट से , छोटे छोटे रजवाड़े आपस में लड़ते रहते थे , और गद्दारों से , जिन्होंने दुश्मन को सारा भेद बता कर उसका साथ दिया , और अफ़सोस आज भी तुम जैसों के रूप में मौजूद है जो समाज को बाँटने का काम कर रहे हैं।
— Jagdish Kukreti (@jag_kukreti) July 28, 2019
प्रशांत कनोजिया इतिहास पढ़ भी लिया करो कभी ये गवार वाली पोस्ट डालकर अपनी बेइज्जती कराने का शौक लगा है बेवकूफी की हद करते हो यही मानसिकता है की खत्म होने की कगार पर हो
— पवनेश (@Pawnesh07) July 28, 2019
देश के बहुत लोगों ने सवाल किया-
ब्राह्मण बुद्धिमान था, राजपूत बलशाली था, बनिया व्यापार में निपुण था,
तो देश गुलाम कैसे बना..?उस समय तो आरक्षण भी नहीं था!
पर तब भी पड़े पड़े खाने वाले फोकटियों की तादात ज्यादा थी…
इसलिये आरक्षण के लिए बिक गए और देश की वाट लगा दी।
— JALAJ (@Sir_JALAJ) July 28, 2019