पहली बार वामपंथ के गढ़ JNU में दी जाएगी रामायण की शिक्षा !

नईदिल्ली : विरोध के बीच पहली बार राम पर JNU में शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।

दूरदर्शन द्वारा रामायण के पुनर्प्रसारण के बाद सोशल मीडिया से लेकर पूरे देश में राम के बारे में संवाद व चर्चाएं होने लगी हैं। इस कोरोना महामारी के बीच देश का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय JNU आजादी के बाद पहली बार राम के नेतृत्व पर शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
JNU के स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्ट्डीज के प्रोफेसर संतोष शुक्ला एवं स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एन्ड कल्चरल स्ट्डीज के प्रोफ़ेसर मज़हर आसिफ़ के नेतृत्व में 2-3 मई को “लीडरशिप लेसन्स फ्रॉम रामायण” कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। ये कार्यक्रम 4-6 बजे शाम में विश्विद्यालय के छात्रों, शिक्षकों, व अन्य स्टाफ के लिए आयोजित किया जा रहा है।

कार्यक्रम के आयोजन पर JNU के VC जगदीश कुमार नें कहा कि “हरिजन समाचार पत्र (1946) में, महात्मा गांधी ने लिखा था: ‘मेरे लिए राम एक सर्व-शक्तिशाली भाव है जिसका नाम, हृदय में अंकित है, सभी दुखों को दूर करता है- मानसिक, नैतिक और भौतिक”। यह 2, 3 मई, 2020 को जेएनयू में “रामायण से नेतृत्व की सीख” पर वेबिनार आयोजित करने की प्रेरणा है।”

उधर JNU वामपंथ का गढ़ रहा है और लाजमी है कि रामायण पर विश्वविद्यालय के छात्र गुटों नें इसका विरोध किया है। वहीं राष्ट्रवादी संगठनों व छात्रों ने श्री राम पर हो रहे कार्यक्रम का स्वागत कर इसे ऐतिहासिक करार दिया है।

【नोट : ये मीडिया हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय के मीडिया छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है】