बिहार(पटना) : सवर्ण आरक्षण पर बुरी तरह से फंस चुकी विपक्षी पार्टिया न चाहते हुए भी विरोध करने से कतरा रही है। विपक्षी पार्टियों को वोट बैंक की नाराजगी न झेलनी पड़े इसलिए सभी ने भाजपा का समर्थन कर डाला क्यूंकि उन्हें मालूम है सवर्ण किसने कहा वोट डाला है इसका लेखा झोका अपनी वोटिंग डायरी में जरूर लिख लेंगे।
बिहार में महागठबंधन में ही दो फाड़ नजर आ रहे है जहा एक ओर आरजेडी विरोध में उतर आयी वही हम पार्टी के मुख्या जीतन राम मांझी ने सवर्णों के लिए 15 प्रतिशत की मांग की थी।
अपने ही गठबंधन की प्रमुख पार्टी का ऐसा रुख देख असमंजस में गच्च खाये बैठी हम पार्टी ने अब अपना रुख कलामंडी खा कर बदल डाला।
दरअसल विवेकानंद जयंती पर पहुंचे जीतन राम मांझी साहब ने अब आरक्षण को ही ख़त्म करने की मांग की है उन्होंने कहा की “देश में कॉमन स्कूलिंग व्यवस्था लागू की जानी चाहिए जिससे अमीर व गरीब का बच्चा जब एक ही स्कूल में पढ़ेगा तो वर्ग के बीच की खाई भर जाएगी जिसके बाद बच्चा खुद पढ़ कर मेरिट में अपनी सीट कब्ज़ा सकता है”।
हालाँकि मांझी जी आये दिन अपने बयानों से पलटी मारते रहते है इससे पहले इन्होने आरक्षण बढ़ाये जाने की वकालत पेश की थी जिसका केस कच्चा होता देख उन्होंने दूसरी रिट डालकर फैसला अपने पक्ष में लाने की कोशिश की है।
वही खबर है की आरजेडी के सवर्ण नेता अपने नेतृत्त्व के फैसले से ख़फ़ा हो चले है सवर्ण नेताओ ने तेजस्वी यादव से मांग की है की पार्टी अपना फैसला वापस ले वर्ना उसे आगामी चुनावो में हार का स्वाद चखना पड़ सकता है।
आपको हम बता दे उत्तर भारत में आरजेडी ही ऐसी प्रमुख अकेली पार्टी थी जिसने संसद में सवर्ण आरक्षण बिल का खुलकर विरोध किया था।