नई दिल्ली : अधिक राजस्व जुटाने के लिए सरकार ने शत्रु कंपनियों की संपत्ति बेचने का फैसला किया है। बीते बृहस्पतिवार को सरकार की तरफ से यह निर्णय लिया गया की सरकार शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत शत्रु कंपनियों की करीब 3000 करोड़ रुपयों की अचल संपत्ति को नीलाम करेगी।
दरअसल शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 में शत्रु या शत्रु कंपनियों की संपत्ति को बेचने का प्रावधान है व जिसको कि सरकार द्वारा बिक्री कि तय प्रक्रिया को मंजूरी मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने दे दी है।
सरकार से मिल रहे ज्ञान के अनुसार इससे मिलने वाले कर को सरकार विकास और सामाजिक कल्याणो के कार्यो में लगाएगी।
जारी किये गए बयान के अनुसार “बिक्री से मिलने वाली राशि को उसी प्रकार से रखा जायेगा जैसा की विनिवेश प्रक्रिया से हासिल राशि को रखा जाता है साथ ही इसकी देख रेख वित्त मंत्रालय द्वारा की जाएगी”।
मोदी सरकार अपने चालू वित्त घाटे को घटाने और सरकार के राजस्व को बढ़ाने के लिए हर मुमकिन कदम उठा रही है इससे पहले कई घाटे में चल
रही सरकारी कंपनियों का विलय कराकर सरकार ने सरकारी घाटे को कम करने का प्रयास किया है।
आपको हम बताते चले की सरकार ने चालू वित्त घाटे को 3.2% तक रखने का लक्ष्य रखा था जिसको बाद में बढाकर 3.5% कर दिया गया था।