अगर हर व्यक्ति को दे 5 हज़ार ₹, तो भारत पर 42 हज़ार करोड़ का पड़ेगा भार: FC रिपोर्ट

अगर 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगो को इसमें शामिल करे तो करीब 83 करोड़ 87 लाख लोग इस श्रेणी में आएंगे। इस हिसाब से अगर सरकार को कुल 5000 रूपए हर व्यक्ति को देना पड़े तो सरकारी खजाने पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।

नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा अपनी जनता को भारी भरकम रकम देने की घोषणा के बाद से भारत सरकार द्वारा दिए गए पैकेज को लोग बौना बता रहे है। दरअसल सरकार ने सिर्फ गरीब लोगो को ही थोड़ी बहुत मदद प्रदान की है। इसलिए आज हमारी टीम ने यह समझने का प्रयास किया है कि अगर भारत सरकार हर किसी व्यक्ति को एक उचित राशि मुहैया कराये तो उसपर कितना दबाव पड़ेगा। आपको बता दे कि पैसो की कमी के कारण कई लोगो ने भारी तादाद में पलायन करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से वायरस के फैलने का खतरा बढ़ गया है।

क्या है पैमाना
हमने भारत के लोगो की आर्थिक स्थिति के हिसाब से हर व्यक्ति पर 5 हज़ार रूपए देने का अनुमान लिया है जिससे वह बेहद ही सामान्य तरीके से इस लॉक डाउन की स्थिति में बिना किसी दिक्कत के अपना जीवन व्यापन कर सके। दरअसल भारत में औसतन हर परिवार में 5 लोग होते है इस प्रकार एक परिवार को 25 हज़ार तक की आर्थिक मदद हो सकती है। वही हमारी टीम ने सिर्फ यह माना है कि सरकार 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को ही आर्थिक मदद देगी। 18 वर्ष या उससे अधिक लेने का कारण यह है कि हम यह मान कर चल रहे कि इस उम्र का व्यक्ति भारत में क़ानूनी रूप से कार्य करने के काबिल हो जाता है। तो इस प्रकार हमने सभी रोज मर्रा के कार्य करने वाले लोगो को शामिल करने का प्रयास किया है।

कितने लोगो को मिल सकता है इससे फायदा
अगर 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगो को इसमें शामिल करे तो 838638213.6 लोग इस श्रेणी में आएंगे। इस हिसाब से अगर सरकार को कुल 5000 रूपए हर व्यक्ति को देना पड़े तो सरकारी खजाने पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।

यह इतनी बड़ी रकम है कि अगर 100 डॉलर नोट को एक के ऊपर एक रख दिया जाए तो करीब 56 बुर्ज खलीफ़ा(विश्व की सबसे ऊची इमारत) कम पड़ जाए.

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कितना पड़ेगा आर्थिक भार
आर्थिक स्थिति की दृष्टि से देखे तो कुल 838638213.6 लोगो को 5000 रूपए की मदद देने में भारत सरकार पर 4193 बिलियन रुपयों का बोझ पड़ेगा जो की कुल 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर बनते है। यह भारत की कुल अर्थव्यवस्था का तक़रीबन 2.3 प्रतिशत बनता है।

क्या होंगे इसके दुष्परिणाम
मुख्यतः 5 कारणों को हमारे एक्सपर्ट्स ने हाईलाइट किया है
1) यह पैकेज आने वाले पब्लिक एक्सपेंडिचर को बुरी तरह से प्रभावित करेगा जिससे नतीजन कम सरकारी नौकरिया व कम जीडीपी देखने को मिल सकती है।

2) मार्किट में अधिक पैसा आने से महंगाई बढ़ सकती है वही भारत जैसे विकसित देशो की ग्रोथ भी एक समय के लिए थम सकती है जिससे देश मिडिल इनकम ग्रुप ट्रैप में फस सकता है

3) सरकारी खजाने में पैसो की कमी के कारण किसानो को मिलने वाली सब्सिडी पर बुरा असर पड़ सकता है जिससे देश में अनाज की उपज में भारी कमी आ सकती है जिससे देश में अनाज की कमी आ सकती है।

4) भारत सरकार के वित्त घाटे में बढ़ोतरी होगी वही भविष्य में वित्त घाटे को काबू करना मुश्किल हो जायेगा

5) आखिर में अधिक लिक्विडिटी बढ़ने से बाजार में महंगाई व बेरोजगारी बढ़ेगी जिससे देश में विकास की गाडी पटरी से उतर जाएगी।

वही सरकार इसके लिए मार्किट से कर्ज भी नहीं ले सकती क्यूंकि डेब्ट टू जीडीपी अनुपात 50 प्रतिशत से अधिक हो जायेगा जिसकी वजह से बजट का आधा पैसा कर्ज चुकाने में चला जायेगा। साथ ही अगर RBI इसके लिए पैसा छापता है तो इम्पोर्ट से आने वाले सामने का दाम बढ़ जायेगा नतीजन जो कर्ज सरकार ने विदेशो से लिया हुआ है उसको चुकाना कही अधिक महंगा पड़ जायेगा। इसलिए भारत जैसे देश में हर व्यक्ति को 5000 रूपए देने का पैकेज भारत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है जिससे आगे देश व नागरिको को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

Data Input: Neeraj Jha, University of Delhi

मजे की बात: यह पूरा मीडिया हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है