जबलपुर (MP): हाथरस कांड में कथित नक्सली भाभी के आरोपों को इनकार करने में बयानों का विरोधाभास हो गया।
हाथरस मामले की जाँच कर रही उत्तरप्रदेश पुलिस की एसआईटी ने पाया है कि मध्य प्रदेश की एक नक्सली महिला पीड़ित परिवार के साथ पीड़िता की भाभी बनकर रह रही रही थी। वहीं, अब इस मामले में मृतका की असली भाभी भी स्पष्टीकरण जारी करने के लिए सामने आई हैं। जिसमें फ़र्जी व नकली भाभी के बयानों में ही विरोधाभास खड़ा हो गया।
बता दें कि महिला कथित तौर पर मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली है। आरोप में बताया जा रहा है कि नक्सली संगठन पीड़िता की असली भाभी के संपर्क में थे।
आरोप के बाद स्पष्टीकरण आया:
पीड़िता की असली भाभी की सामने आई वीडियो में उन्होंने दावा किया है कि सवालों के घेरे में आई महिला कोई फर्जी नहीं बल्कि उनकी दूर की रिश्तेदार थी। पीड़िता की असली भाभी ने कहा, “उनका (संदिग्ध नक्सली) नाम राजकुमारी है। उनका एक 10 साल का बेटा है। उनका पति और एक परिवार है। ऐसा कुछ नहीं है (जो मीडिया में बताया जा रहा है)।”
कथित नक्सली महिला के आवास के बारे में पूछने पर असली भाभी ने बताया, “वह जबलपुर में रहती है और वहाँ नौकरी करती है।”
भाभी की रिश्तेदार हैं: असली भाभी
उन्होंने आगे बताया कि, ‘फर्जी भाभी’ बताई जा रही महिला वास्तव में उनकी दूर की एक रिश्तेदार है, जो कथित गैंगरेप पीड़िता के बारे में जानने के बाद परिवार के साथ रहने आई थी। असली भाभी ने जोर देते हुए कहा, “वह (संदिग्ध नक्सली) मेरी भाभी की रिश्तेदार है और इस तरह मेरी दूर की रिश्तेदार है। जो घटना के बारे में जानने के बाद हमारे घर में आकर रह रही थी। भोपाल, अहमदाबाद और मुंबई से हमारे रिश्तेदार आ रहे हैं, तो क्या सभी को ऐसे फर्जी घोषित कर दिया जाएगा।”
उन्होंने आगे बताया कि, ‘फर्जी भाभी’ बताई जा रही महिला वास्तव में उनकी दूर की एक रिश्तेदार है, जो कथित गैंगरेप पीड़िता के बारे में जानने के बाद परिवार के साथ रहने आई थी। असली भाभी ने जोर देते हुए कहा, “वह (संदिग्ध नक्सली) मेरी भाभी की रिश्तेदार है और इस तरह मेरी दूर की रिश्तेदार है। जो घटना के बारे में जानने के बाद हमारे घर में आकर रह रही थी। भोपाल, अहमदाबाद और मुंबई से हमारे रिश्तेदार आ रहे हैं, तो क्या सभी को ऐसे फर्जी घोषित कर दिया जाएगा।”
जबलपुर वाली भाभी कौन हैं :
हाथरस कांड में कथित नक्सली कनेक्शन आने पर जिस डॉक्टर महिला से जोड़ा जा रहा है। वो जबलपुर में नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में एक पेशेवर सरकारी डॉक्टर हैं। वो खुद को फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी बताती हैं।
पीड़ित परिवार को दिए पैसे:
डॉक्टर बंसल के मुताबिक वो बाकायदा छुट्टी लेकर 4 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक पीड़ित परिवार के घर में रही थीं। जहां उन्होंने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद भी दी। इसके पीछे उनका मकसद अपने समाज के पीड़ित परिवार को संबल देना था। डॉक्टर बंसल ने पीड़ित परिवार के किसी भी सम्बंध को इनकार करते हुए कहा कि उसे फंसाया जा रहा है। वह पीड़िता के दर्द सुनने के बाद पीड़ित परिवार से मिलने के लिए हाथरस गईं थी।
रिश्तेदार नहीं इंसानियत के तौर पर मिलने गई:
उनके मुताबिक उन्होंने हाथरस जाने के लिए विभाग अध्यक्ष को छुट्टी की अप्लाई किया था। वहीं डॉक्टर ने पीड़ित परिवार से किसी तरह के पारिवारिक संबंध नहीं होना बताया है। कहा कि इंसानियत के तौर पर हाथरस गई। पीड़ित परिवार वालों ने मुझे एक दो दिन रूकने को कहा तो मैं वहां रूक गई। लेकिन अब एसआईटी की टीम मुझे फंसा रही है।
उज्बेकिस्तान का नम्बर:
डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने अपने संबंध नक्सलियों से होने का खंडन किया है और कहा है कि ऐसा प्रचारित करने वालों के खिलाफ वो कानूनी कार्रवाई भी करेंगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनके नम्बर पर फोन लगाने वाले ने कहा कि ये उज्बेकिस्तान का बता रहा है। आगे उन्होंने फोन टैपिंग बताकर कहा कि पुलिस की सायबर सेल में सम्बंध में शिकायत भी की है।
वामसेफ, भीम आर्मी जैसे संगठन जानते होंगे:
जब मीडिया ने डॉक्टर राजकुमारी से किसी भीम आर्मी या अन्य संगठन से सम्बंध के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ इनकार करते हुए कहा कि मैं पिछले कई सालों से जबलपुर ग्वालियर क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करती हूं। लिहाजा वामसेफ, भीम आर्मी जैसे ये संगठन मुझे जानते हों।
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