हरियाणा: आपको कैसा लगेगा जब आपने अपनी बचत से अपनी क्षमता अनुसार कोरोना वायरस फण्ड में दान दिया हो और उसके बाद आपको खबर मिले की आपकी इस महीने की सैलरी भी आपको नहीं मिलेगी ? यही दर्द हरियाणा के सभी सरकारी कर्मचारियों को सरकार की ओर से दिया गया है।
कोरोना वायरस में काम धंधे बंद होने से जहा लोग पहले ही नाराज चल रहे है वही हरियाणा सरकार की एक घोषणा ने सबके होश उड़ा दिए है। सरकार राज्य के अपने सभी कर्मचारियों को एक महीने का भत्ता नहीं देगी। दरअसल सरकार की और से ट्वीट कर कहा गया है कि सभी कर्मचारियों ने अपना एक महीने का भत्ता दान देने का फैसला लिया है। बल्कि स्थिति इसके बिलकुल उलट दिख रही है।
बिना किसी कर्मचारियों से पूछे सरकार ने सभी कर्मचारियों के भत्ते काटने का फरमान जारी कर दिया है साथ ही ट्वीट कर इसे कर्मचारियों की इच्छा बता डाला।
ट्वीट के बाद कर्मचारियों का गुस्सा सीएम साहब पड़ फुट पड़ा। लोगो ने ट्वीटर पर लिखा हमसे कुछ भी नहीं पूछा गया है वही बहुत से लोगो ने PM केयर्स फण्ड में दान दी रकम के स्क्रीन शॉट भी लगाए और कहा कि हमारे द्वारा दान दिए जाने के बावजूद हमारी तनख्वाह जबरदस्ती काटी जा रही है।
सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों ने भी अपनी एक महीने की सैलरी को दान करने का निर्णय लिया है : मुख्यमंत्री श्री @mlkhattar pic.twitter.com/CVKepYcYK3
— CMO Haryana (@cmohry) March 31, 2020
कई लोगो ने कहा कि उनके घर की EMI घर का खर्चा लोन अब कौन देगा। घर में राशन नहीं है, बच्चो की फीस भरनी होगी।
वही राज्य सरकार में नौकरी करने वाले विजय लिखते है “सभी कर्मचारी अपनी इच्छानुसार दान कर रहें हैं। कृप्या हमारी पुरे महीने की सैलरी काट कर हमें भूखा ना मारे । ये पाप ना करे हमारी भी फैमिली है हमारे पास आमदनी का कोई और साधन नहीं हैं।”
सभी कर्मचारी अपनी इच्छानुसार दान कर रहें हैं। कृप्या हमारी पुरे महीने की सैलरी काट कर हमें भूखा ना मारे । ये पाप ना करे हमारी भी फैमिली है हमारे पास आमदनी का कोई ओर साधन नहीं हैं । pic.twitter.com/26awnsqcJY
— Vijay R Paul (@vijaypal5461) March 31, 2020
आगे एक अन्य कर्मचारी लिखते है “श्रीमान, 1 कर्मचारी अपनी महीने भर की तनख्वा दान कर देगा, तो परिवार को रोटी खिलाने लंगर में लेके जाए ?”
मान्यवर हम सब कर्मचारियों के बच्चों के एजुकेशन लोन की किस्त उनकी फीस तथा मासिक किराना दूध वगैरा का बिल भी देना पड़ता है कृपया इतना अन्याय ना करें हमारे महीने की तनखा ना काटे हमारे कैपेसिटी के अनुसार आपने 10 परसेंट तो ले ही लिए वरना हमें भी कम्युनिटी centre में खाना खाना पड़ेगाl
— AHPC worker Union Gurugram (@DhbvnG) March 31, 2020
श्रीमान, 1 कर्मचारी अपनी महीने भर की तनख्वा दान कर देगा, तो परिवार को रोटी खिलाने लंगर में लेके जाए ?
— Suraj Parkash (@dhimansuraj1) March 31, 2020
आपको बता दे कि राज्य सरकार का भी अलग से रिलीफ कोष है जिसमे पहले से लोगो ने दान दिया है जिसके बाद एकाएक यह फैसला किसी तानाशाही से काम नहीं है वही सरकार ने इसका पूरा ठीकरा उल्टा सरकारी कर्चारियों पर फोड़ दिया है।
सरकार के इस फैसले से करीब 4 लाख सरकारी कर्मचारी व उनपर निर्भर 20 लाख लोग प्रभावित होंगे। 2 लाख कर्मचारी ऐसे है जो अपने जीवनयापन के लिए हर महीने की तनख्वाह पर टिके है। ऐसे में सरकार यह तानशाही निर्णय इन लोगो पर बुरा प्रभाव डालेगा।
आपातकाल, युद्ध व फाइनेंसियल क्राइसिस में भी नहीं काटा गया था वेतन
भारत में आज तक सरकारी कर्मचारियों का वेतन कभी नहीं काटा गया है चाहे व युद्ध हो, आपातकाल हो या सबसे बुरे हाल में 1991 में फसी भारतीय अर्थव्यवस्था हो।
मजे की बात: यह पूरा मीडिया हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है