महाराष्ट्र(मुंबई) : महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग(MSEC) ने यह घोषणा कर दी है की अगर NOTA को किसी भी अन्य उम्मीदवारो से ज्यादा चुना गया तो वहाँ चुनाव फिर से कराये जायेंगे। नोटा को लेकर शुरू से असमंजस की स्थिति बनी रही है दरसल भारतीय चुनाव आयोग में ये प्रावधान है की अगर मान लिया जाये की कुल पड़े वोट में से 99 प्रतिशत वोट नोटा को गए है व सिर्फ 1 प्रतिशत ही प्रत्याशियों को गया है फिर भी जिस प्रत्यासी को सबसे अधिक वोट पड़े है उसे जीता हुआ मान लिया जायेगा।
हाल ही में नोटा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग की तरफ से कुछ लिखा पढ़ी जारी की गई थी जिस पर अमल करते हुए महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने ये बड़ा फैसला लिया है, जिसका तत्काल प्रभाव 9 दिसंबर को होने वाले अहमदनगर और धुले के नगर निगम चुनावो पर लागु होगा माने की अगर नोटा को पड़े सबसे ज्यादा वोट तो होगा फिर से चुनाव।
सूत्रों से मिल रहे ज्ञान के अनुसार भारतीय चुनाव आयोग कंडक्ट ऑफ़ इलेक्शन रूल्स,1961 के रूल नंबर 64 को संशोधित करने का मन बना चुकी है, अब देखना यह होगा की नोटा को मिलने जा रही इतनी बड़ी ताक़त से भारतीय लोकतंत्र को कितना फायदा देखने को मिलता है ।
वही महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग के सेक्रेटरी शेखर छन्ने ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए अपने बयान में कहा की “यह निर्णय एक अभूतपूर्व निर्णय है, महाराष्ट्र देश का पहला ऐसा राज्य बना है जिसने सबसे पहले इस निर्णय को लागू किया है”।
महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग महाराष्ट्र के नगर निगम व ग्राम पंचायत के चुनावो के लिए जिम्मेदार होता है।
आपको हम बताते चले की लगातार चल रहे सवर्णो के नोटा दबाओ अभियान को भी इस खबर से अच्छी खासी तार्किक मदद मिलने जा रही है, अब नोटा का सोटा अभियान के उभरते हुए नेता कम से कम ये तो बोल सकेंगे की नोटा दबाने से पड़ने वाला सोटा जरूर चमड़ी उधेड़ेगा ।