वो वादा ही क्या जिसे निभाया ही न गया…? महाराष्ट्र किसान

राज्य के सूखे से त्रस्त अन्नदाता खेतों को छोंड़ अब सड़कों पर, "वाटर मैन आफ इंडिया" व "लोक संघर्ष मोर्चा का भी है साथ; अब वादाखिलाफी है पहले तो थी शासन से आस

महाराष्ट्र : एक बात बताइए 26 जन. व 15 अग. में वो वाला देशभक्ति गीत आपने सुना है न मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरा मोती ? अगर सुने हैं तो ये फिर ये भी पता होगा कि धरती सोना तभी उगलेगी जब इन्द्र देव की कृपा बरसेगी लेकिन महाराष्ट्र के कुछ जिले जल संकट से लगातार जूझ रहे हैं, सूखा पड़ रहा है |

और सरकार नें उन प्रभावितों के मदद के लिए कुछ वादे किए थे और उस पर सरकार खरी नहीं उतरी लिहाजा लगभग 20000 हजार किसानों का हुजूम अब मुंबई की सड़कों पर उतर आया है |

जनजातीय महिलाओं व किसानों का वादाखिलाफी पर पैदल मार्च :

महाराष्ट्र के सूखे प्रभावित जिलों के वनवासी खेतीहर, जनजातीय महिलाएं, व मजदूर अपनी मांगों को लेकर मुंबई की सड़कों पर उतरे हैं | बुधवार से शुरू इस 2 दिवसीय प्रदर्शन का जिम्मा लोक संघर्ष मोर्चा नें अपने कंधों में ले रखा है |

हालांकि यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन महाराष्ट्र के कल्याण जिले से बुधवार को शुरू होकर आज दादर पहुंचा और अब इनकी कोशिश महाराष्ट्र भवन के पास प्रदर्शन करने की है ताकि उनकी बुनियादी आवाज सुनी जा सके |

वो सूखे के मारे, थे शासन के सहारे : 

महाराष्ट्र के नासिक, मराठवाड़ा, विदर्भ जैसे उत्तरी जिलों से आए किसानों की कई बुनियादी मांगे है जिसके लिए वो सरकार से खफ़ा हैं | मुख्य मांगों में कर्ज माफ़ी, सूखे प्रभावितों को मुआवजा, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, वनाधिकार अधि. 2006 के तहत जनजातीय किसानों को पट्टा आदि हैं |

आपको ये भी बताते चलें कि राज्य के जिलों में इस बार सबसे कम वर्षा हुई है जिसके कारण यहां भयानक सूखे के हालात पैदा हुए हैं, रबी की फसलें बुरी तरह से नष्ट हुई हैं | और अब अन्नदाताओं को सरकार से ही बची कुची आशाएं थीं जिन्हें पूरा नहीं किया गया और अब वो खेतों को छोंड़ सड़क पर हैं |

इनकी मांगों का समर्थन एशिया का नोबेल कहे जाने वाले रमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता व भारत के “जल पुरुष” श्री राजेन्द्र सिंह, महाराष्ट्र “आप” जैसे कई व्यक्तिगत व दल भी कर रहे हैं |