21 दिन लॉक डाउन से दिल्ली की हवा सालों बाद बेहद साफ़ होकर 37 AQI होगी: FC रिपोर्ट

दिल्ली के प्रदुषण का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि लोगो को सिर्फ पिछले दो सालों में दो दिन ही स्वच्छ हवा मिल सकी थी।

नई दिल्ली: देश भर में घोषित लॉक डाउन के बीच हमारी रिपोर्ट फलाना कैलकुलेटर में देश भर व ख़ास तौर पर दिल्ली के लिए अच्छी खबर देखने को मिली रही है। दरअसल दिल्ली में साल के कुछ ही दिन लोगो को बमुश्किल स्वच्छ हवा में सांस लेने का मौका मिलता है जिसके बाद लॉक डाउन के बाद कैसे दिल्ली का वातावरण बदल सकता है उसपर हमने एक रिपोर्ट तैयार करी है।

रिपोर्ट में जाने से पहले हमें यह जानना पड़ेगा की क्यों व किन कारणों से दिल्ली का वातावरण बेहद अशुद्ध रहता है। पिछले कई सालो से दिल्ली चीन की राजधानी को पछाड़ के विश्व भर में सबसे प्रदूषित शहरो में से एक बन गया है। 5 मार्च को छपी वर्ल्ड इकनोमिक फोरम की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि विश्व भर के 10 सबसे प्रदूषित शहरो में से 6 तो सिर्फ भारत में ही है वही दुनिया भर की सबसे प्रदूषित राजधानियों में दिल्ली प्रथम स्थान पर है। इसलिए यह जानना बहुत जरुरी हो जाता है कि आखिर दिल्ली की हवा क्यों इतनी प्रदूषित रहती है।

क्या है कारण
The Energy & Resource Institute (TERI) की रिपोर्ट के मुताबिक बार बार मीडिया व नेताओ के किये जाने वाले दावे में कोई दम नहीं है। दिल्ली के सभी नेता यह दावा करते आये है कि दिल्ली के प्रदुषण का मुख्य कारण स्टबल बर्निंग अथार्थ पराली जलना है। यह दावा इसलिए भी किया जाता रहा है क्यूंकि इससे उनको दूसरे राज्यों पर जिम्मेदारी डालने का मौका मिल जाता है। वही संस्था TERI के मुताबिक अगर दिवाली के 10 दिनों को छोड़ दे तो पराली मात्र 4% दिल्ली के प्रदुषण में योग्यदान देता है। वही IIT कानपूर ने भी पराली जलाने को सबसे कम दोषी माना है। वही दिवाली के अवसर पर पराली 30 प्रतिशत प्रदुषण में योगदान देता है।

क्या कहती है FC रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक अगर 21 दिनों तक लॉक डाउन का सही से पालन किया जाए तो दिल्ली की हवा में काफी सुधार आ सकता है।
इस दौरान इंडसट्री से फैलने वाले प्रदुषण को हमने 30 की बजाये कम करके 25 प्रतिशत माना यानी 25% कम प्रदुषण। वही गाड़ियों को 28 की बजाये हमारी रिपोर्ट में कम करके 25 प्रतिशत माना है। आंकड़ों को काफी अध्यन करने के बाद कम से कम रखा गया है ताकि अधिक सटीक आंकड़े सामने आ सके। हालाँकि हमने रेजिडेंशियल एरिया के प्रदुषण को 10 प्रतिशत ही माना उसमे कोई कमी नहीं की गई है।
आगे धूल से फैलने वाले प्रदुषण को हमारे अध्यन में 30 प्रतिशत से 25 रखा गया है। आंकड़े को कम रखने के पीछे का मकसद यह है कि हम मान कर चल रहे है कि पूर्ण रूप से कोई भी कारक प्रदुषण में अपना रोल ख़त्म नहीं कर सकता है। आंकड़े TERI व IIT कानपूर के आंकड़ों के अध्यन पर आधारित है।

Carrier Contribution
Industries 30%
Vehicles 28%
Dust 18%
Stubble Burning(During Normal Days) 4%
Residential Area 10%

(Actual Contribution as per TERI report)


21 दिनों में 37 के करीब आ सकता है AQI

हमारे अध्यन में यह निकल कर सामने आया है कि अगर 21 तक सही तरीके से लॉक डाउन को लागु किया जाता है तो दिल्ली की हवा बरसो बाद WHO द्वारा शुद्ध हवा के औसत से भी कही निचे सांस लेने योग्य हो सकती है।
आंकड़ों के मुताबिक 21 दिन में कुल 75% प्रदुषण में कमी आनी तय है। इसके मुताबिक सभी कारको से फैलने वाले प्रदुषण में भारी कमी आने के पीछे बड़ी तादाद में प्राइवेट व्हीकल, काम काज व बिल्डिंग कार्य को रोक को माना गया है।
नीचे टेबल में कमी को दर्शाया गया है।

Carrier Contribution can reduce by
Industries 25%
Vehicles 25%
Dust 15%
Stubble Burning(During Normal Days) 0%
Residential Area 0%

(Our FC report suggests a drastic change in the level of PM 2.5)

पिछले 3 दिनों में आयी भारी कमी
जनता कर्फ्यू के बाद दिल्ली की हवा बेहद साफ़ हो चली है। नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक दिल्ली में सबसे प्रदूषित इलाको में से एक रोहिणी में 3 दिनों में नाटकीय रूप से हवा साफ़ हुई है। यही हाल दिल्ली के सभी इलाको का रहा है। साफ़ हवा के पीछे जनता कर्फ्यू को बताया गया है।

Pollution drops from 237 to 75

इंडेक्स के मुताबिक 21 मार्च शाम 4 बजे को एयर क्वालिटी इंडेक्स 237 था जो 25 मार्च शाम 4 बजे गिर कर 75 पर आ गया जो हमारी रिपोर्ट में दिए आंकड़ों को बल देता है।