JNU कैंपस : वीर सावरकर मार्ग साइनबोर्ड पर कालिख पोतकर पाकिस्तानी जिन्ना की फोटो लगाई गई है, जिसका आरोप लेफ्ट पर है।
15 मार्च को वीर सावरकर के नाम से जिस मार्ग का नामकरण हुआ, आज उसमें कालिख पोतकर अज्ञात लोगों ने उसे जिन्नाह मार्ग नाम दिया है।
इस कृत्य पर JNU के राष्ट्रवादी संगठनों, ABVP नें इसके पीछे लेफ्ट छात्रों का हाथ बताया है। ABVP की महामंत्री निधि त्रिपाठी नें इसका कालिख पोतने पर वाम दलों को निशाना साधते हुए कहा कि “आप इनकी “भारत तोड़ो” मानसिकता समझ सकते हैं। ज्ञात हो कि भारत विभाजन में जिन्नाह को वैचारिक खाद-पानी भी कम्यूनिस्टों ने ही दी थी।”
ABVP नें आलोचना करते हुए कहा कि “JNU में लेफ्ट गैंग की तुकडे-तुकड़े मानसिकता हर किसी को एक बार फिर से दिखी है। स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर हमला करने के बाद, उन्होंने अब वीर सावरकर मार्ग साइनबोर्ड को हटाने का काम किया है। वामपंथियों को भरत के प्रतिष्ठित प्रतीक को अपमानित करने में कोई शर्म नहीं है। फिर, कोई आश्चर्य नहीं कि उन्हें भारत के सामान्य, राष्ट्र-प्रेमी नागरिकों से कोई समर्थन क्यों नहीं मिला ?”
The Tukde-Tukde mindset of the commie gang in JNU is out for everyone to see once again!
ABVP unequivocally condemns the Left thugs’ cheap attempts at defacing the signboard of Veer Savarkar Marg and putting up Jinnah’s photo. pic.twitter.com/QPhafYzQUv
— ABVP (@ABVPVoice) March 17, 2020
दरअसल कैंपस में एक रोड का नाम बदलकर वीर सावरकर के नाम पर कर दिया गया था। ये रोड सुबनसीर हॉस्टल से होते हुए IIMC की तरफ जाती है।
उधर JNU के वामपंथी गुटों नें इस कदम का विरोध करना भी शुरू कर दिया था। JNU छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष नें सावरकर के नाम पर रोड का विरोध करते हुए कहा था कि “यह JNU की विरासत के लिए शर्म की बात है कि इस व्यक्ति (सावरकर) का नाम इस यूनिवर्सिटी में दिया गया है। सावरकर और उनके लोगों के लिए यूनिवर्सिटी में न पहले कोई जगह थी, न कभी होगी।”
It’s a shame to the legacy of JNU that this man’s name has been put in this university.
Never did the university had space for Savarkar and his stooges and never will it have !#RejectHindutva@ndtv @BhimArmyChief @RanaAyyub @SFI_CEC @ttindia @IndiaToday pic.twitter.com/Q81PSkkpzq
— Aishe (ঐশী) (@aishe_ghosh) March 15, 2020
कल JNU में NSUI नेें भी वीर सावरकर सड़क के नामकरण का विरोध भी किया था। उन्होंने V.D. सावरकर मार्ग का नाम बदलकर B.R. अंबेडकर मार्ग कर दिया था।
इसपर NSUI के नेशनल सेक्रेटरी साइमन फारुखी नें सावरकर मार्ग का बहिष्कार करते हुए कहा कि “हम हमेशा राष्ट्र निर्माणकर्ताओं के मूल्यों को बनाए रखेंगे, न कि राष्ट्रों को विभाजित करेंगे।”