बाल गंगाधर तिलक अपनी किताब “आर्कटिक होम्स इन द वेदाज” में भी सवर्णों के बाहर से आने कि पुष्टि करते हैं. तिलक लिखते हैं कि – “ उत्तरी ध्रुव आर्यन का मूल स्थान या निवास हुआ करता था। लेकिन वहां ज्यादा ठंड होने की वजह से 8000 बीसी के लगभग यूरोप और एशिया में बसने आये। उस समय उत्तरी ध्रुव पर बर्फ से ढंका होने कि वजह से रहने योग्य भूमि का भी अभाव था और वर्तमान भारत के उत्तरी छोर की जमीन उस समय लगभग खाली थी, ये लोग यहाँ आकर बस गए”। तिलक वेद के मन्त्र और कैलेण्डर के गहन अध्ययन और शोध के उपरान्त इस निष्कर्ष पर पहुचे थे। राहुल सांकृत्यायन ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास गंगा से वोल्गा में भी विस्तार से चित्रित किया है किस तरह से आर्य विशेष रूप से गंगा के पठारी एरिया में आये। नेहरु ने अपनी प्रसिद्ध किताब डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया में भी इस बात की पुष्टि की है कि आर्यन बाहर से आकर भारत में बसे।
फेसबुक पोस्ट के ज़रिए उदितराज नें बाल गंगाधर तिलक, नेहरू, राहुल सांस्कृत्यायन जैसे लेखकों के कथित सन्दर्भ के ज़रिए सवर्णों को बाहरी कहा है।