केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा एससी-एसटी एक्ट से नहीं चाहिए राजनीतिक लाभ

केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामा में कहा है कि ''SC/ST ऐतिहासिक रूप से भेदभाव के शिकार हैं, इस समुदाय के साथ अब भी भेदभाव की घटनाएं होती हैं।

नई दिल्ली :- 20 मार्च को एससी-एसटी एक्ट पर आये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को केंद्र सरकार ने बेशक बदल दिया हो लेकिन इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट बहुत सख्त दिखाई दें रहा है।

कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कोर्ट से निवेदन किया था कि कोर्ट सरकार के एससी-एसटी एक्ट पर बनाये कानून को रद्द कर दें, परन्तु जस्टिस ए के सीकरी और अशोक भूषण ने इससे मना कर दिया। जजों ने कहा कि वो सरकार का पक्ष सुने बिना रोक लगाने का आदेश नहीं देंगे। कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सात सितंबर को हुई सुनवाई में एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलाव पर जवाब मांगा था। जिसमे केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामा में कहा है कि ”SC/ST ऐतिहासिक रूप से भेदभाव के शिकार हैं, इस समुदाय के साथ अब भी भेदभाव की घटनाएं होती हैं। आज भी एससी-एसटी समुदाय के लोगों को सामाजिक स्तर पर अधिकारों से वंचित किया जाता है”।

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि ”कानून के दुरुपयोग का मतलब उसे रद्द कर देना नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा कि कानून में बदलाव का मकसद राजनीतिक लाभ लेना नहीं है।” इस मामले पर अब अगले महीने मामले पर सुनवाई होनी है।

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