SC-ST एक्ट का कारण हो सकता है मायावती के ट्विटर में जातिगत कमेंट

बसपा सुप्रीमो मायावती हाल ही में ट्विटर पर हुई हैं सक्रिय, वर्तमान में 50 हजार से अधिक फलोविंग

लखनऊ (यूपी) : बसपा प्रमुख भी सोशल मीडिया के दमदार प्लेटफार्म यानी ट्विटर पर सक्रिय हो चुकी हैं हालांकि ट्रोलर उनके ट्वीट पर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं |

15 ट्वीट में 53 हजार फालोविंग कमा चुकी हैं मायावती :

बहन मायावती नें अपने ट्विटर में आने की आधिकरिक घोषणा प्रेस रिलीज के द्वारा 6 फरवरी को कर चुकी हैं उसके बाद आज 7 फरवरी को दोपहर 3 बजे तक वो 15 ट्वीट कर चुकी हैं | जिसमें उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को आड़ों हाँथ लिया है | लेकिन इस बीच ट्विटर पर उनके लिए ट्रोल करने वाले जातिगत टिप्पणी के अलावा तरह-तरह की बातें लिख रहे हैं | लेकिन ऐसे लोगों को अब सावधान होने की जरूरत है |

मायावती पर जातिगत टिप्पणी SC-ST एक्ट का कारण हो सकता है :
इस मसले पर जब फलाना दिखाना की टीम नें कानूनी सलाह ली तो पता चला कि ” अगर सोशल मीडिया में जानबूझकर किसी पर जातिगत टिप्पणी की जाती है तो ऐसे लोगों पर SC-ST के तहत केस दर्ज तो किया जा सकता है और तुरंत गिरफ्तारी भी हो सकती है लेकिन इसे कोर्ट में प्रमाण के रूप में सिद्ध करना काफ़ी मुश्किल होगा | “
मायावती का जब हमनें आधिकारिक ट्विटर एकाउंट चेक किया तो उनके ट्वीट के जवाब में लोगों नें उनपर कम पढ़े लिखे होने वाले कमेंट किए हैं | इसके अलावा जातिगत टिप्पणी करने वालों पर एट्रोसिटी का मामला दर्ज हो सकता है |
एट्रोसिटी एक्ट से बचे तो दूसरे एक्ट भी हैं : साइबर एक्सपर्ट
विवादित टिप्पणी व ट्रोल के संबंध जब हमारी टीम नें साइबर विशेषज्ञों से बात की तो उन्होंने बताया कि ” इस तरह के केसों में IT एक्ट, IPC व CRPC तीनों के तहत कम्प्लेन दर्ज कराई जा सकती है |
हालांकि जातिगत ट्रोलिंग के मामले में उन्होंने कहा कि ” यदि एट्रोसिटी एक्ट कोर्ट में सिद्ध नहीं भी हो पाया तो ट्रोलिंग और हरासमेंट के लिए सूचना व तकनीकी अधिनियम के तहत भी आपको सजा मिल सकती है |
तो ऐसे में यूजर्स को किसी भी व्यक्ति को अभद्र टिप्पणी करने से बचना चाहिए बांकी राजनीतिक रूप से हो सकता है कि किसी से विचार न मिलें उसके लिए कोई भी व्यक्ति भद्रता पूर्वक लिखने बोलने के लिए आजाद है |