नईदिल्ली : याचिका को ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट नें कहा कि उम्रसीमा का लाभ लेने वाले आरक्षित अभ्यर्थी जनरल की सीटों में नहीं जा सकते |
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट नें आरक्षण को लेकर एक ऐतिहासिक फ़ैसला दिया है | सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एस अब्दुल नजीर और इंदिरा बैनर्जी वाली बेंच नें गुजरात हाईकोर्ट के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज करते हुए अहम टिप्पणी की है |
दरअसल ये याचिका गुजरात PSC के अभ्यर्थी नीरव कुमार दिलीप भाई मकवाना की ओर से दाख़िल की गई थी |
सुप्रीम कोर्ट नें इस फ़ैसले में गुजरात हाईकोर्ट के फ़ैसले को ही सही माना और कहा कि “संविधान के अनुच्छेद 16(4) के तहत ये अधिकार दिया गया है कि राज्य किसी पिछड़े वर्ग के नागरिक को भर्तियों में आरक्षण दे सकता है जिसका वहां की नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं है |”
सुप्रीम कोर्ट नें इसमें सबसे बड़ी बात जो कही वो यह है कि “आरक्षित श्रेणी के कारण उम्र सीमा में छूट का लाभ लेने वाला अभ्यर्थी आरक्षित श्रेणी का ही माना जाएगा न कि अनारक्षित श्रेणी का |”
इस केस में याचिकाकर्ता नें गुजरात PSC में SEBC के तहत आवेदन किया था और इस आरक्षित श्रेणी के कारण उन्हें उम्र सीमा में लाभ मिल गया था और उसने प्री और लिखित टेस्ट दोनों पास कर लिया था लेकिन जब मेरिट लिस्ट बनी तो उसे आरक्षित श्रेणी में ही रखा गया न कि जनरल में | वहीं अभ्यर्थी का कहना था कि उन्हें अनारक्षित नहीं बल्कि जनरल माना जाए |
उधर जब ये केस गुजरात हाईकोर्ट पहुंचा तो उसने भी ये याचिका ख़ारिज कर दी लेकिन उसके बाद इसे देश की सबसे बड़ी अदालत में चुनौती दी गई जहाँ याचिकाकर्ता को झटका लगा |
हालांकि आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आगे आने वाले फैसलों के लिए नजीर के रूप में पेश किया जा सकता है इसलिए इसे काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा रहा है |
Age relaxation for SC/ST as an incident of Reservation under Article 16: What SC held [Read judgment]https://t.co/XYZAjFp63c
— Bar & Bench (@barandbench) July 4, 2019