कानपुर (UP) : BJP सांसद सहित सोशल मीडिया नें बिगबॉस को लव जिहाद और अय्याशी का अड्डा बताके प्रोग्राम को बंद करने की अपील की है।
हमारे देश का मिडिया ऐसे भौंडे घटिया प्रोग्रामों को टीआरपी देने का काम करता है।”
एक समय था जब रामायण,महाभारत चाणाक्य,#महाराणा प्रताप जैसे सीरियल दिखाए जाते थे,और आज #बिग बॉस, #रोडिज या सास बहु के झगड़े दिखाकर देश की युवा जनरेशन की #मानसिकता को सड़ाया जा रहा है!
हमारे देश के कुछ मीडिया वाले घटिया प्रोग्रामो को #TRP देने का काम करता है!✍? #जेहाद_फैलाता_bigboss— Satyadev Pachauri (@sdPachauri1) October 5, 2019
#UnsubscribeColoursTV ।”
बिग बॉस नहीं है ये, अय्याशी का अड्डा बना रहे हैं, ऐसे शो का पूर्ण रूप से विरोध और इसे बंद करना चाहिए।
खैर मैंने आज तक इसका एक भी एपिसोड नहीं देखा है बस ऐसे ही जानकारी मिलती है
ऐसे प्रोगामों को देख कर समाज में गंदगी फैल रही है इस पर तुरंत बैन लगना चाहिए✍?#UnsubscribeColoursTV— Satyadev Pachauri (@sdPachauri1) October 5, 2019
वहीं सोशल मीडिया विश्लेषक अनुज वाजपेयी लिखते हैं “बिगबॉस धारावाहिक, सूचना, प्रसारण एवं सांस्कृतिक मंत्रालय अपने नींद से जागे और इन जैसे गंदे धारावाहिकों के विरुद्ध सख़्ती बरते। इस तरह के अश्लील और अनैतिक कंटेंट परोसना बंद होना तुरंत आवश्यक है।”
बिगबॉस धारावाहिक…
सूचना, प्रसारण एवं सांस्कृतिक मंत्रालय अपने नींद से जागे और इन जैसे गंदे धारावाहिकों के विरुद्ध सख़्ती बरते। इस तरह के अश्लील और अनैतिक कंटेंट परोसना बंद होना तुरंत आवश्यक है।#जेहाद_फैलाता_bigboss
— ANUJ BAJPAI (@Real_Anuj) October 6, 2019
अनुज इसके आगे लिखते हैं “बिग बॉस और समतुल्य धारावाहिक, बिग बॉस जैसे घटिया सीरियल्स को कोसने से अच्छा है कि हम अपने बेटे बेटियों के संस्कार को इतना सुदृढ करे की वे इस तरह के घृणित धारावाहिकों में जाना तो दूर, देखना भी पसंद ना करें।”
बिग बॉस और समतुल्य धारावाहिक…
बिग बॉस जैसे घटिया सीरियल्स को कोसने से अच्छा है कि हम अपने बेटे बेटियों के संस्कार को इतना सुदृढ करे की वे इस तरह के घृणित धारावाहिकों में जाना तो दूर, देखना भी पसंद ना करें।#जेहाद_फैलाता_bigboss
— ANUJ BAJPAI (@Real_Anuj) October 6, 2019
ऐसा ही कुछ BJP से जुड़े अतुल कुशवाहा लिखते हैं “हम जैसे द्रश्य देखते है वैसे ही विचार मस्तिष्क में उपजते हैं आजकल अधिकतम नाटक और फिल्में केवल व्यभिचार केंद्रित होती है जिनमे रिश्तों को भी ताक पर रख दिया जाता है। इन दृश्यों को देखकर बढ़ रही शारीरिक उत्तेजना सभी प्रकार के दुष्कर्म को प्रेरित करती है। जेहाद_फैलाता_bigboss।
हम जैसे द्रश्य देखते है वैसे ही विचार मस्तिष्क में उपजते हैं आजकल अधिकतम नाटक और फिल्में केवल व्यभिचार केंद्रित होती है जिनमे रिश्तों को भी ताक पर रख दिया जाता है।
इन दृश्यों को देखकर बढ़ रही शारीरिक उत्तेजना सभी प्रकार के दुष्कर्म को प्रेरित करती है।#जेहाद_फैलाता_bigboss pic.twitter.com/YzToNhRScg
— Atul Kushwaha #जेहाद_फैलाता_bigboss (@UP_Silk) October 5, 2019