दिल्ली : हिंदी भाषी राज्यों में मिली करारी हार के बाद संघ ने भी हार का ठीकरा सवर्णो के गुस्से पर फोड़ा है। संघ के आंकलन में यह निकल कर सामने आया है कि सवर्णो के आक्रोश ने पार्टी को तीन राज्यों में सत्ता से वंचित कर दिया है।
हार के बाद पार्टी कि तरफ से कोई ठोस कारण नहीं बताया गया है परन्तु मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नोटा ने बिगाड़े खेल पर सब हैरान रह गए है। एससी एसटी एक्ट पर न केवल सवर्ण नाखुश थे बल्कि ओबीसी भी पार्टी से मुँह चुराता हुआ नजर आया है छत्तीसगढ़ में पड़े वोट इसका सीधा बखान कर रहे है।
संघ के सूत्रों से मालूम हुआ कि न केवल बीजेपी का कोर वोट बैंक उनसे नाराज था बल्कि कैडर भी पार्टी के इस कदम से खुश नहीं था। एससी एसटी एक्ट व किसानो के आंदोलनों ने भाजपा को सत्ता वापसी से वंचित कर दिया है अब जिसके बाद 2019 को लेकर पार्टी में आकलन का दौर शुरू हो गया है ।
पार्टी का सबसे बुरा हाल ग्वालियर चम्बल बेल्ट पर देखने को मिला जहा बीजेपी को 35 में से महज 7 सीटें ही मिल सकी है जोकि पिछले चुनावो में 21 थी ।
पार्टी को उम्मीद थी कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में एक बार फिर से सत्ता वापसी का मौका आसानी से मिल जायेगा पर नतीजे इसके बिलकुल उलट आये है।
वही पिछली सरकार में एमपी से मंत्री रहे दो नेताओ ने भी एससी एसटी एक्ट पर हार का ठीकरा फोड़ा था।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार सरकार प्रोफेसर के पदों पर ओबीसी आरक्षण लाने कि तैयारी कर रही थी परन्तु सवर्णो के हालिया प्रदर्शन से अब वह इससे पीछे हटने का मन बना रही है, सरकार को डर है कि इससे कही सवर्ण पूर्ण रूप से आगामी लोकसभा चुनावो में पार्टी से रूठ न जाए।