वर्ष 2009 के बाद ब्राह्मणो को मिले सभी भारत रत्न : रिपोर्ट

आजादी के बाद से मिले कुल 48 भारत रत्नो में अकेले 23 भारत रत्न ब्राह्मण जाति से आने वाले व्यक्तियों कि झोली में गिरे है।

नई दिल्ली : भारत में सर्वोच्च सम्मान के रूप में भारत रत्न को देखा जाता है जिसका सम्मान पाना अपने आप में किसी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि से कम नहीं है।

लेकिन अगर देखा जाये तो सबसे अधिक सम्मान पाने वाले लोग ब्राह्मण जाति से आते है जिसपर एक प्रश्न चिन्ह जरूर उठ सकता है। पहला भारत रत्न पाने वाले सी. राजगोपालचारी से लेकर अभी हाल ही में चयनित हुए प्रणब मुखर्जी और नानाजी देशमुख तक ब्राह्मण जाति से आते है।



दिल्ली विश्विधालय से आने वाले कुछ छात्रों ने भारत रत्न का जातिगत तौर पर अध्यन कर यह इसकी एक रिपोर्ट तैयार की है जिसकी कुछ मोटी मोटी बाते आज हम आपको बताने जा रहे है।

दबे कुचले समाज कहे जाने वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति की हिस्सेदारी इसमें बेहद ही कम है वही बात करे अनुसूचित जनजाति का अभी तक एक भी व्यक्ति इस सम्मान को नहीं हासिल कर सका है व अनुसूचित जाति से सिर्फ एक ही व्यक्ति डॉ भीम राव आंबेडकर इसको प्राप्त कर सके है।

भारत रत्न पाने वाले अधिकतर लोग ब्राह्मण ही है

इसलिए अगर यह कहा जाये कि इनकी हिस्सेदारी शून्य के बराबर है तो यह हजम करना मुश्किल नहीं होगा।

इसके साथ ही वर्ष 2009 से भारत रत्न मिलने वालो में एक को छोड़ कर सभी ब्राह्मण जाति से आते है जिसमे महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से लेकर भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रधान मंत्री रहे अटल बिहारी बाजपेयी तक शामिल है।



आजादी के बाद से मिले कुल 48 भारत रत्नो में अकेले 23 भारत रत्न ब्राह्मण जाति से आने वाले व्यक्तियों कि झोली में गिरे है। भारत रत्न को ब्राह्मण रत्न भी कई दलित नेता कहते आये है जिसमे एक अकेली जाति बढ़त बनाती आई है। वही ओबीसी से महज एक और मुस्लिम समाज से 6 भारत रत्न निकले है ।