सोलापुर (महाराष्ट्र) : 1951-52 के लोकसभा चुनाव में बाबा साहब चुनाव बुरी तरह हारे और अब उनके पोते प्रकाश अम्बेडकर भी हार गए हैं |
2019 आम चुनावों के नतीज़े आ चुके हैं जिसमें अमित शाह के नारे कांग्रेस मुक्त की तरह देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का लगभर सफाया हो चुका है वहीं अन्य छोटे मोटे दलों या नेताओं का भी इस मोदी सुनामी में कहीं अता-पता नहीं है |
इधर हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र की हाई प्रोफाइल सीट सोलापुर की जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी व महाराष्ट्र के पूर्व सीएम सुशील कुमार सिंदे को भाजपा के सिद्धेश्वर महास्वामी से 1,58,608 वोटों से हर गए हैं |
उधर इसी सीट पर बाबा साहब अम्बेडकर के पोते भी बुरी तरह चुनाव हार गए औए वो तीसरे स्थान पर रहे | बतौर दलित नेता की पहचान रखने वाले अम्बेडकर के पोते प्रकाश अम्बेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाडी नें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AMIM के साथ गठबंधन किया था | प्रकाश अम्बेडकर को सिर्फ़ 1,70,007 वोट मिले और वो 3.5 लाख वोटों से हारे, इसके अलावा प्रकाश सिंदे के बाद कुल तीसरे स्थान पर रहे |
यह पहली बार नहीं है जब अम्बेडकर परिवार को राजनीति में पहली बार इतनी बुरी हार झेलनी पड़ी हो | देश में जब पहली बार ही आम चुनाव 1951-52 में हुए थे उस समय बाबा साहब को मुंबई की उत्तर मध्य सीट से हार देखनी पड़ी थी और वो चौथे स्थान पर रह गए थे | बाबा साहब नें अपनी अलग पार्टी अनुसूचित जाति फेडरेशन पार्टी बनाई थी जिसे आज रिपब्लिक पार्टी ऑफ़ इंडिया कहते हैं | उस चुनाव में नेहरू लहर में कांग्रेसी नारायण सादोबा कजरोलकर नें 15,000 वोटों से जीता था वहीं बाबा साहब से आगे कम्युनिस्ट पार्टी व हिंदू महासभा के प्रत्याशी थे |
इसके बाद भी 1956 के उपचुनाव में अम्बेडकर भंडारा सीट से खड़े हुए लेकिन उन्हें दोबारा भी हार झेलनी पड़ गई | हालांकि बाद में वो राज्यसभा के द्वारा ही संसद पहुंचे लेकिन कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई और 1957 का लोकसभा चुनाव उनके लिए काफ़ी देर कर गया |