औरंगज़ेब आतंकवाद का प्रतीक था, जो सनातन संस्कृति को ख़त्म करना चाहता था: नक़वी
नईदिल्ली : मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी नें कार्यक्रम में कहा कि औरंगजेब आतंकवाद का प्रतीक था ।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी नें बुधवार 11 सितंबर, 2019 को नई दिल्ली में “एकेडेमिक्स फॉर नेशन” द्वारा दारा शिकोह पर आयोजित परिसंवाद को सम्बोधित किया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल एवं बड़ी संख्या में जाने-माने शिक्षाविद, विचारक, प्रमुख बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी उपस्थित थे।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नक़वी नें महान दार्शनिक, लेखक व कलाकार दारा शिकोह की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शिकोह के राष्ट्रवादी गुणों का बखान किया ।
लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नें कहा कि “दारा शिकोह अपने जीवनकाल में औरंगजेबी क्रूरता का शिकार और बाद में तथाकथित “सेक्युलर इतिहासकारों की असहिष्णुता” के निशाने पर रहे। कुछ लोगों द्वारा इतिहास के पन्नों से दारा शिकोह की हिंदुस्तानी संस्कृति-संस्कार से सराबोर सोंच और सन्देश को मिटाने का सोंचा-समझा पाप किया गया ।”
“कुछ “कट्टरपंथी, वामपंथी, तथाकथित सेक्युलर इतिहासकारों की जमात” द्वारा अराजक, हिंसक, जालिम औरंगजेब जैसे शासक को महिमामंडित करने का काम किया गया। औरंगजेब की सोंच इंसानी मूल्यों, हिंदुस्तान की सनातन एवं समावेशी संस्कृति को तबाह करने की साजिशों से भरी थी।”
इसके आगे मंत्री ने मुग़ल आक्रांता औरंगज़ेब द्वारा भारतीय संस्कृति को चोंट देने वाली विचारधारा पर भी प्रहार किया, उन्होंने कहा कि “औरंगजेब अपनी क्रूरता-जुल्म के चलते खलनायक बन गया वहीं भारतीय संस्कारों से सराबोर दारा शिकोह भारतीय जनमानस के लिए नायक बन गए। दारा शिकोह भारत की संस्कृति-संस्कार में रचे-बसे ऐसे संदेशवाहक बनें जिन्होंने दुनिया को हिंदुस्तान की संस्कृति-संस्कार को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।”
While Aurangzeb was “symbol of terrorism”, Dara Shikoh was “identity of nationalism”. The influence of teachings of Sufi saint Moinuddin Chishti and his interaction with Maharishsis, Sanyasis gave rise to entire personality of Dara Shikoh. pic.twitter.com/R5gyoAVx0f
नक़वी नें विद्वान दारा शिकोह के राष्ट्रवादी गुणों की पहचान दिलाते हुए कहा कि “औरंगजेब आतंकवाद का प्रतीक था जबकि दारा शिकोह राष्ट्रवाद की पहचान थे। सूफी संत मोईनुद्दीन चिश्ती की शिक्षा के प्रभाव एवं महर्षियों, सन्यासियों की संगत और संस्कार ने दारा शिकोह की संपूर्ण शख्सियत को जन्म दिया।”
आगे कहा कि ‘कुछ’ कट्टरपंथी, वामपंथी, तथाकथित सेक्युलर इतिहासकारों की जमात” द्वारा अराजक, हिंसक, जालिम औरंगजेब जैसे शासक को महिमामंडित करने का काम किया गया। औरंगजेब की सोंच इंसानी मूल्यों, हिंदुस्तान की सनातन एवं समावेशी संस्कृति को तबाह करने की साजिशों से भरी थी। “