दावोस (स्विट्जरलैंड) : अब CAA पर मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा नें WEF सम्मेलन में मोदी सरकार का समर्थन किया है।
CAA को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है जिसमें राजनीति से हटकर बॉलीवुड, धर्म आध्यात्म से संबंधित लोग इस पर अपनी राय रख रहे हैं इसी बीच उद्योग जगत से जुड़े लोग भी कानून पर खुलकर सामने आए हैं।
इसी कड़ी में मशहूर उद्योगपति व महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा नें CAA का समर्थन किया है। उन्होंने CAA को लेकर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के सालाना सम्मेलन में सरकार का समर्थन किया। स्विट्जरलैंड स्थित दावोस में WEF सम्मेलन में अमरीकी मीडिया ब्लूमबर्ग को आनंद महिंद्रा नें इंटरव्यू दिया।
CAA पर मुसलमानों को शामिल न करने को लेकर जब ब्लूमबर्ग पत्रकार नें सवाल पूछा तो आनंद नें कहा कि CAA विवादित नहीं है। आप बहस नहीं कर सकते कि कानून में कुछ पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात कही गई है।”
आगे उन्होंने असम में विरोध प्रदर्शनों की स्थिति पर बताया कि “भारत में लोग इस पर संशय में हैं, जहां असम में लोग जिसके लिए विरोध कर रहे हैं वो पूरे देश से अलग है। असम की बात करें तो वहां के नागरिक किसी भी तरह के नागरिक को स्वीकार करने को मना कर रहे हैं। उनको लंबे समय से बढ़ रही भीड़ का डर है।”
आगे आनंद महिंद्रा नें कहा कि “दुनिया का हर देश अपनी सीमाओं को प्रबंधित कर रहा जो भारत भी कर रहा है। और भारत में CAA की तरह अमरीका भी अपने देश में ‘लाउटनवर्ग एक्ट’ लाया था।”
आपको अमरीका के लाउटनवर्ग एक्ट के बारे में जानकारी दे दें कि ये एक्ट भारत के CAA से मिलता जुलता है। 1989-90 में US सीनेटर द्वारा लाए गए एक्ट में मुख्यतः पहले सोवियत रूस से प्रताड़ित समूह बाद में 2004 के संशोधन में ईरान के प्रताड़ित समूहों को अमरीका की नागरिकता देने का प्रावधान था।
उस अमरिकी एक्ट में मुस्लिम को छोड़ तीन अल्पसंख्यक समुदाय ज़्यूस, ईसाई व बहाई ही शामिल किए गए थे।