दलित अत्याचार के कथित मामले में पांच यादवों पर मामला दर्ज किए जाने के 18 साल बाद, एक सत्र अदालत ने हाल के एक आदेश में सभी आरोपों से आरोपी को बरी कर दिया।
वर्ष 2004 में रामलगन यादव, सूबेदार यादव, शीतला प्रसाद यादव और सुजीत यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने लाइन बाजार थाने में आवेदन दिया था, जिस पर आईपीसी 147, 323, 302, 504 के तहत मामला दर्ज किया गया था। एससी-एसटी अधिनियम कि धारा 304, और 3(2) 5 भी लगाई गई थी।
शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया कि आरोपी व उसके परिवार के बीच बबूल के पेड़ को लेकर विवाद चल रहा था। घटना वाले दिन शिकायतकर्ता और मृतक दयाराम पर आरोपितों ने हमला किया था। जिससे मृतक की मौत हो जाती है।
अदालती सुनवाई, जिसमें 18 साल लगे, ने खुलासा किया कि शिकायतकर्ता को लगी चोटें गिरने के कारण हुई थीं। साथ ही, आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं किया गया है जो उनकी संलिप्तता को साबित कर सके। यह भी पता चला कि शिकायतकर्ता के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जा रहा है। शिकायतकर्ता पर शीतला के पिता की हत्या का मामला दर्ज किया गया था।
साथ ही, सुनवाई के दौरान अन्य गवाहों सहित मुख्य शिकायतकर्ता मुकर गया था।
विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट रमेश दुबे ने सभी व्यक्तियों को बरी कर दिया है और पुलिस को शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठे बयान और सबूत देने के लिए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है।