नईदिल्ली : आरक्षण के सवाल पर इंटरव्यू में तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बोले थे हम समय का दुरुपयोग कर रहे हैं।
जुलाई 2013 में दिए एक इन्टरव्यू में तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी नें जातिगत आरक्षण पर बड़ा बयान दिया था |
आइए आज हम आपको उस इन्टरव्यू की यादें तरोताजा कर देते हैं आखिर प्रधानमंत्री मोदी उस समय आरक्षण व जातिवाद पर क्या सोचते थे !
आज संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि भी है जिसे महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में याद किया जाता है।
अम्बेडकर भी ख़ुद आगे बढ़ने के लिए शिक्षा को सबसे बड़ा माध्यम बताते थे, इसलिए उन्होंने निशुल्क व आवश्यक शिक्षा की माँग संविधान बनाते समय की थी। और इसी के चलते 10 वर्षों तक आरक्षण की व्यवस्था के पक्षधर वो ख़ुद भी थे।
लेकिन हमारी राजनीतिक व्यवस्था नें शिक्षा को उतना महत्व न देकर दूसरों मुद्दों पर व्यवस्था चलाई और संविधान के लागू होने के लगभग 60 साल बाद देश में 6-14 वर्ष तक की शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया। साल 2009 में मनमोहन सिंह जी की सरकार में ये अधिकार लाया गया।
ऐसे ही हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों में सामाजिक न्याय व आरक्षण की व्यवस्था पर बीती बातें याद करते हैं !
दरअसल इन्टरव्यू में सवाल पूछा गया था कि “एक समय जब हमारे देश में जातिवाद की सबसे बड़ी समस्या रही लेकिन अब ये स्थिति आ गई है कि अलग अलग जातियाँ अपने आप को पिछड़ा दिखाने की प्रतिस्पर्धा कर रही हैं ! इसलिए लोग बजाय उत्थान (विकास) के बजाय आरक्षण की माँग कर रहे हैं ! तो आपके (मोदी जी) के राय में इस समस्या को हमेशा के लिए खत्म करने का हल क्या है ?”
प्रश्न के जबाव में मोदी जी नें कहा था, “सभी को शिक्षा दे दीजिए, कौन आरक्षण माँगेगा…!”, “सभी को रोजगार के अवसर दीजिए, कौन आरक्षण माँगेगा…!”
“इसलिए हमें प्रचुरता (अधिकता) वाले समय को बनाना होगा, यदि एक बार आप ऐसा करते हैं तो कोई भी आरक्षण नहीं माँगेगा, हम इसमें अपना समय का दुरूपयोग कर रहे हैं | लेकिन ये सब इसलिए है क्योंकि हमारी पूरी अर्थव्यवस्था अभावग्रस्तता वाली है |”
“हमें अभावग्रस्तता को सम्पूर्णता में बदलना होगा और गुजरात पूर्णता का माडल है |”
तो 2013 में मोदी जी के इन्टरव्यू का निष्कर्ष भी यही रहा कि हमें सभी को शिक्षा व नौकरी उपलब्ध करानी चाहिए यदि ऐसा हो जाए तो आरक्षण की जरूरत नहीं होगी !